इंदौर : कोविड संक्रमित मरीज अपनी मर्जी से सीटी स्कैन ना कराएं, इससे उत्पन्न होने वाला रेडिएशन, मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। कोरोना संक्रमित होने के बाद शुरुआती दिनों में सीटी स्कैन कराने से सही नतीजे भी नहीं मिलते हैं। इसलिए जरूरी है कि जब तक कोरोना के लक्षण निर्मित ना हो या डॉक्टरों द्वारा सलाह ना दी जाए तब तक मरीज सीटी स्कैन ना कराएं। ये बात एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सभागृह में आयोजित वैज्ञानिक परिचर्चा में डॉक्टर सलिल भार्गव ने कही। इंदौर में कोविड मरीजों की बढ़ती हुई संख्या, गंभीर रोगियों के उपचार, उपचार में समरसता के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में गुरूवार को इस वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। व्याख्यान में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे। परिचर्चा में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. वी.पी. पाण्डे, सह प्राध्यापक मेडिसिन डॉ. अशोक ठाकुर एवं सहायक प्राध्यापक मेडिसिन डॉ. प्रणय बाजपेयी सहित ऑनलाइन वर्चुअल मीट के माध्यम से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यगण भी शामिल हुए। वैज्ञानिक परिचर्चा में कोविड के वर्तमान स्वरुप, उपचार में आवश्यक जांचे एवं सी टी स्कैन की आवश्यकता के साथ ही ऑक्सीजन का सही उपयोग एवं कम गंभीर रोगियों को घर पर ही होम आइसोलेशन में दिये जाने वाले उपचार एवं गंभीर रोगियों में रेमडेसिविर इंजेक्शन के उपयोग की नवीन गाइडलाइन एवं अन्य दवाइयाँ की आवश्यकता के बारे में चर्चा की गई।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई को जनांदोलन बनाएं।
मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि पिछले एक वर्ष से शासन- प्रशासन पूरी क्षमता के साथ कोरोना के विरूद्ध इस लड़ाई में निरंतर कार्यशील है। हालांकि कोरोना के विरूद्ध इस संघर्ष के असली योद्धा हमारे चिकित्सक गण हैं, जो अपने दृढ़संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ अपना सर्वस्व न्यौछावर कर नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु कोरोना से लगातार लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि “डॉक्टर धरती पर ईश्वर का रूप है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि यदि कोरोना के विरूद्ध इस अभियान को जनआंदोलन का रूप दिया जाए, तो जीत इंदौर नागरिकों के संकल्प, सामर्थ्य और समन्वय की होगी।
कोरोना मरीजों के उपचार हेतु होम क्वारंटाइन है ज्यादा कारगर।
सांसद लालवानी ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि कोरोना संक्रमित पाए जाने पर मरीज एवं उसके परिवारजन घबराहट में बिना मरीज के स्थिति की गंभीरता का परीक्षण किए सीटी स्कैन, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के उपयोग की मांग करने लगते हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों और संसाधनों की निरंतरता में आ रही कमीं को देखते हुए यह जरूरी है कि जिन मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करना है और जिन्हें होम क्वारंटाइन से उपचार दिया जा सकता है, इन दो श्रेणी में विभाजित कर लें। साथ ही किस मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है और किसे नहीं इसको भी चिकित्सकों द्वारा चिन्हित किया जाए और मरीजों को समझाया जाए। चिकित्सक गण निर्धारित पैरामीटर के आधार पर ही ऑक्सीजन एवं रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि अपने व्यक्तिगत अनुभव से उनका मानना है कि कोरोना मरीज के उपचार में होम क्वारंटाइन ज्यादा कारगर है। मरीज को जो सुविधा अपने घर पर प्राप्त होती है, उससे उसका मानसिक तनाव दूर होता है।
कोरोना के उपचार में जरूरी संसाधनों का ना हो अत्याधिक उपयोग।
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में बढ़ते कोविड मामलों के फलस्वरूप पिछले कुछ दिनों से जिले में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता में कमीं आई है। इसलिए वर्तमान समय की मांग है कि उक्त संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि असिंप्टोमेटिक कोरोना संक्रमित मरीज जिन्हें किसी प्रकार के लक्षण नहीं है, वे रेमडेसिविर इंजेक्शन की जगह एंटीवायरल डोज ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना संक्रमित मरीजों द्वारा अत्यधिक चेस्ट सीटी स्कैन कराया जा रहा है। यह भी एक चिंताजनक विषय है, अत्यधिक सीटी स्कैन मरीज के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए सभी चिकित्सक यह सुनिश्चित करें कि मरीज के कहने पर नहीं बल्कि डॉक्टर की सलाह पर ही सीटी स्कैन कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन भी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में कोरोना वायरस मरीजों का उपचार किया जा रहा है, वहां पर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली लाइन की पूर्ण रूप से चेकिंग की जाए। जिससे ऑक्सीजन का अनावश्यक लीकेज रोका जा सके। संभागायुक्त डॉ शर्मा ने कहा कि ऐसे सभी अस्पताल, जहां पर संक्रमित मरीजों को रखा गया है, वहां वार्ड वार या फ्लोर वार ऑक्सीजन प्रभारी नियुक्त किए जाएं। सभी ऑक्सीजन प्रभारी यह सुनिश्चित करेंगे कि मरीज द्वारा ऑक्सीजन मास्क अनावश्यक रूप से ऑन ना छोड़ा जाए। ऑक्सीजन प्रभारी सतत मॉनिटरिंग करेंगे कि ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग ना हो। जिस मरीज को जितनी संख्या में ऑक्सीजन देना है उसी संख्या में उसे ऑक्सीजन दिया जाए।
परिचर्चा में डॉ. सलिल भार्गव सहित अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भी अपनी बात रखी और उपयोगी सुझाव दिए।