तकनीक को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ना भी जरूरी : डॉ. डेविश जैन

  
Last Updated:  February 24, 2025 " 09:35 pm"

इंडस्ट्री 5.0 के युग में एआई – मानव सहयोग की नई संभावनाओं पर पीआईएमआर में हुआ मंथन।

इंदौर: प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (PIMR), इंदौर द्वारा “इंडस्ट्री 5.0 के युग में मानव-मशीन समन्वय और भविष्य की दिशा” विषय पर आयोजित 20वें वैश्विक सम्मेलन का शुभारंभ प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन और प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. डेविश जैन ने किया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 150 से अधिक शिक्षाविद, प्रबंधन विशेषज्ञ और तकनीकि विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इंडस्ट्री 5.0—तकनीक और मानवता का संतुलन।
सम्मेलन के उद्घाटन के बाद अपने उद्बोधन में डॉ. डेविश जैन ने कहा कि इंडस्ट्री 5.0 सिर्फ एक तकनीकि परिवर्तन नहीं, बल्कि मानवता और मशीन के बीच समन्वय स्थापित करने की नई क्रांति है। डॉ जैन ने कहा कि इंडस्ट्री 5.0 हमें यह सिखाता है कि तकनीक को केवल स्वचालन (Automation) और दक्षता (Efficiency) तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे मानवीय संवेदनाओं, नवाचार और आत्मनिर्भरता से जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इस क्रांति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
पीआईएमआर के ग्रुप डायरेक्टर डॉ.एस.एस.भाकर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह सम्मेलन नई पीढ़ी को भविष्य के उद्योगों के लिए तैयार करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।
औद्योगिक क्रांतियों से सीखें और आगे बढ़ें।
विक्रम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने संबोधन में औद्योगिक क्रांति 1.0 से 5.0 तक की यात्रा का उल्लेख किया और बताया कि यह बदलाव कैसे समाज और उद्योगों को प्रभावित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्रांति 1.0 ने मशीनों को जन्म दिया, 2.0 ने उत्पादन बढ़ाया, 3.0 ने स्वचालन लाया और 4.0 ने स्मार्ट तकनीक को उन्नत किया। लेकिन 5.0 सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि मानव-केंद्रित क्रांति है, जहां मशीनें हमारी सहायता करेंगी, न कि हमें प्रतिस्थापित करेंगी।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में मानवीय तत्व को जीवित रखना जरूरी।
प्रेस्टीज ग्रुप के वैश्विक राजदूत और डिप्लोमैट प्रो. सिद्धार्थ राजहंस ने इंडस्ट्री 5.0 के तकनीकि बदलावों पर गहन चर्चा की। उन्होंने वेब 1.0 से वेब 3.0 तक की यात्रा को समझाते हुए बताया कि आने वाले समय में मशीनें अधिक उन्नत होंगी, लेकिन हमें अपनी मानवीय क्षमताओं को बनाए रखना होगा।
प्रो राजहंस ने कहा कि हम डिजिटल युग में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी इंसानों के लिए बनी है, न कि इंसान टेक्नोलॉजी के लिए। मशीनों को मानवता के पूरक के रूप में देखा जाना चाहिए, प्रतिस्थापन के रूप में नहीं।
एआई और आध्यात्मिकता का संतुलन आवश्यक।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट डॉ. सूरज सिंह ने एआई और नैतिकता पर चर्चा करते हुए तकनीकि प्रगति और भारतीय दर्शनशास्त्र के बीच संतुलन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीवन के चार उद्देश्यों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को तकनीकि युग में भी बनाए रखना आवश्यक है। तकनीक हमें बेहतर बना सकती है, लेकिन हमें इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने AI की शक्ति और उसकी सीमाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब तक मशीनों में मानवीय नैतिकता का समावेश नहीं होगा, तब तक वे पूर्ण नहीं हो सकतीं।
भारत को तकनीकि नवाचार में आगे बढ़ने की जरूरत।
एनएमआईएमएस के मैनेजमेंट एजुकेशन प्रोवोस्ट और स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के डीन डॉ. जस्टिन पैपल ने तकनीक के लाभ और उसके संभावित दुष्प्रभावों पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि तकनीक का सही उपयोग हमें आगे ले जा सकता है, लेकिन इसका दुरुपयोग नैतिक मूल्यों को प्रभावित कर सकता है।डॉ. पैपल ने जापान और दक्षिण कोरिया की तकनीकि प्रगति का उदाहरण देते हुए भारत को इससे सीखने और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
इस मौके पर प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. जस्टिन पैपल को “पीआईएमआर मैनेजमेंट एक्सीलेंस अवार्ड” से सम्मानित किया गया।
एआई और स्थिरता भविष्य की कुंजी।
प्रोसपिरा के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सेवकर्णी ने इंडस्ट्री 4.0 और 5.0 के बीच के अंतर पर प्रकाश डालते हुए AI और स्थिरता (Sustainability) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आधुनिक उद्योगों में AI का उपयोग केवल ऑटोमेशन के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण अनुकूल और स्थायी विकास के लिए भी किया जा रहा है।
जहाँ एआई की सीमा समाप्त होती है, वहाँ से मानवता शुरू होती है।
केएमपीजी इंडिया के सीनियर एसोसिएट डायरेक्टर साहिल नायर ने AI और भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) के बीच के अंतर को समझाते हुए कहा कि हम पाषाण युग से AI (Siri) युग तक आ चुके हैं, लेकिन मशीन कभी भी मानवीय भावनाओं को पूरी तरह से नहीं समझ सकती। उन्होंने कहा कि एआई का विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन अंततः निर्णय लेने की शक्ति और नैतिक सोच केवल मनुष्यों के पास ही रहेगी।
PIMR के डायरेक्टर डॉ. रमन अय्यर ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन AI, वेब 3.0, मानव-मशीन समन्वय और इंडस्ट्री 5.0 पर विचार-विमर्श के लिए एक ऐतिहासिक अवसर साबित हुआ है।
सम्मेलन के दौरान कॉन्फ्रेंस बुक का विमोचन भी किया गया, जिसके पश्चात विभिन्न तकनीकि सत्रों का आयोजन हुआ।

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