*लोकसभा चुनाव 2019*—
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*भाजपा के एक फैसले ने इंदौर के चुनाव का बदला समीकरण*
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*ताई की जमी – जमाई विनिंग सीट से छेड़खानी कर भाजपा ने उठाया जोखिम*
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*ताई को हटाकर भाजपा ने कांग्रेस के लिए खोले कई बंद रास्ते, अब आपस मे बटेंगे वोट*
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*ताई की सुरक्षित सीट को कौन बचाएगा*
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? *विपिन नीमा*❤
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इंदौर ।
भाजपा हाईकमान ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का टिकिट काटकर इंदौर में एक बड़ा उलटफेर ही नही किया बल्कि आगामी चुनाव में अपनी जीती हुई सीट भी संकट में डाल दी। यही नही ताई की वजह से शहर के कई क्षेत्र है जहाँ वोट के रास्ते कांग्रेस के लिए सालो से बंद थे वे भी खोल दिए। भाजपा ने ताई की चुनावी विदाई देकर इंदौर के चुनाव का पूरा समीकरण ही बदल कर रख दिया है। अब दोनों पार्टीयो के लिए समान अवसर दिखने लगे है।
*भाजपा ने ही इंदौर की सुरक्षित सीट को कर दी असुरक्षित*
वैसे तो ताई इस बार भी चुनाव लड़ने के मूड में थी लेकिन पार्टी की तरफ से रिस्पांस नही मिलने से ताई सीने पर पत्थर रखकर चुनाव नही लड़ने का निर्णय लेना पड़ा। पिछले 8 बार के लोकसभा चुनाव में ताई की लगातार जीत से भाजपा की यह सीट पूरी तरह सुरक्षित थी , लेकिन अब इस चुनाव में उसने अपने कब्जे वाली इस महत्वपूर्ण और प्रतिष्टित सीट असुरक्षित कर दी।
*सालो बाद इंदौर सीट के लिए प्रत्याशी के नाम पर विचार*
पिछले कई लोकसभा चुनाव में पार्टी हाईकमान ने इंदौर के नाम पर कभी विचार नहीं किया। पार्टी को पता रहता था इन्दोर की सीट तो हमारी ही है। इसी कारण पार्टी की पहली सूची में ही सुमित्रा महाजन का नाम तय रहता था। इंदौर की इस सुरक्षित सीट की बदौलत ताई ने संसद सदस्य से अपनी यात्रा शुरू की ओर लोकसभा अध्यक्ष के पद तक पहुंच गई।
*भाजपा ने कांग्रेस के लिए खोले कई रास्ते*
राष्ट्रीय ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंदौर की पहचान दिलाने वाली सुमित्रा महाजन के चुनाव से हटने से भाजपा के लिए यह चुनाव ओर मुश्किल होता नजर आ रहा है। ताई को टिकिट न देकर भाजपा ने अपना नुकसान तो कर ही लिया साथ ही शहर के उन क्षेत्रों के रास्ते भी खोल दिये जो सालो से कांग्रेस के लिए बंद थे। यानी ऐसे क्षेत्रों से कांग्रेस को वोट कम मिलते थे।
*वोट बटेंगे समीकरण बदलेंगे*
भाजपा के एक फैसले ने इंदौर के चुनाव का समीकरण ही बदलकर रख दिया है।
इंदौर के हजारों मतदाता ऐसे है , जिनका पार्टी से कोई लेना देना नही है फिर भी वे केवल ताई के नाम पर वोट देते थे। इसके अलावा महाराष्ट्रीयन समाज ,तथा शहर के कई छोटे बड़े ताई समर्थित समाज के लोग ओर महिलाओं के वोट भी ताई के खाते में जाते थे। अब ये सारे वोट दोनों पार्टी के बीच बंट जाएंगे। इसलिए वोट को बचाने के लिए आने वाले नए प्रत्याशी के लिए एक बड़ी चुनोती रहेगी।
*कौन लड़ेगा चुनाव अभी कुछ भी तय नही*
30 साल बाद लोकसभा चुनाव में पहली बार ऐसा हो रहा है जिसमे इंदौर संसदीय सीट के लिए प्रत्याशियों के नाम पर विचार किया जा रहा है। इस वक्त इंदौर को लेकर पार्टी हाईकमान ने कोई फैसला नही लिया है, लेकिन ताई की भरपाई करने के लिए दावेदारों की सूची तेजी से बढ़ती जा रही है।
*इन दावेदारों के चल रहे है नाम*
* कैलाश विजयवर्गीय, गोपी नेमा , भवरसिंह शेखावत, रमेश मेंदोला, कृष्ण मुरारी मोघे , शंकर लालवानी, महिलाओं में मेयर मालिनी गौड़ , विधायक उषा ठाकुर शामिल है। भाजपा का जो भी प्रत्याशी मैदान में उतरेगा उसे अब पकी पकाई थाली नही मिलेगी बल्कि कड़ी मेहनत करना होगी।U