इंदौर : यौमे आशूरा के मौके पर रविवार को पुलिस ने ऐन मौके पर सक्रिय होकर राजवाड़ा क्षेत्र और कर्बला तक के मार्ग को सील करने के साथ एकत्रित भीड़ को समझाइश देकर लौटा दिया पर खजराना क्षेत्र में कतिपय नेताओं के संरक्षण में लॉकडाउन की धज्जियाँ उड़ाकर ताजिया जुलूस निकाला गया और हजारों की भीड़ इकट्ठी की गई। ज्यादातर लोग मास्क भी लगाए हुए नहीं थे। अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए नेताओं ने लोगों की सेहत को खतरे में डाल दिया।
देर से जागा जिला व पुलिस प्रशासन।
जिला व पुलिस प्रशासन को पता था कि रविवार को लॉक डाउन होने के बावजूद मोहर्रम की 10 तारीख होने से खुरापाती तत्व अफवाहें फैलाकर लोगों को गुमराह कर सकते हैं, पर उन्होंने लापरवाही बरती। सुबह से ही कर्फ्यू लगाकर लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जाता तो हालात काबू में रहते। ताजिया निकलने की अफवाह फैलने के बाद जब हजारों लोग राजवाड़ा, इमामबाड़ा और कर्बला तक के मार्ग पर एकत्रित होने लगे, तब जाकर जिला व पुलिस प्रशासन नींद से जागा। ताबड़तोड़ राजवाड़ा क्षेत्र को खाली करवाकर बेरिकेटिंग की गई और लोगों को घर जाने की समझाइश दी गई। कर्बला तक के मार्ग पर जमा लोगों को भी मुनादी करवाकर घर लौटने को कहा गया। लोगों को बताया गया कि सरकारी ताजिये से जुड़ी तमाम रस्में इमामबाड़े पर ही पूरी कर ली गई हैं। ताजिया कर्बला नहीं ले जाया जाएगा। समूचे मार्ग पर भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया। इसका नतीजा ये हुआ कि कड़ी मशक्कत के बाद मध्यक्षेत्र में तो हालात संभल गए लेकिन खजराना क्षेत्र में पुलिस प्रशासन चूक कर गया।
खजराना क्षेत्र में नहीं रखा गया ध्यान।
लंबे समय तक कोरोना का हॉटस्पॉट रहने के बावजूद जिला व पुलिस प्रशासन ने खजराना क्षेत्र को अछूता छोड़ दिया। झाँकीबाज नेताओं ने इसका फायदा उठाकर क्षेत्र में ताजिया जुलूस निकलवा दिया। जब इस जुलूस के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए,तब जाकर प्रशासन सचेत हुआ।
थाना प्रभारी लाइन अटैच, पूर्व पार्षद सहित कई नेताओं पर प्रकरण दर्ज।
खजराना क्षेत्र में हुई चूक के लिए प्राथमिक रूप से खजराना थाना प्रभारी संतोष यादव को जिम्मेदार मानते हुए लाइन अटैच कर दिया गया। बाद में जब मामले ने तूल पकड़ा तो पूर्व पार्षद उस्मान पटेल के साथ 15 से अधिक लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया।