मौतों का आंकड़ा 35 हजार तक पहुंचने की आशंका।
दुनियाभर से राहत सामग्री तुर्की भेजे जाने का सिलसिला शुरू।
भारत ने भी बढ़ाया मदद का हाथ।
नई दिल्ली : तुर्की और सीरिया में सोमवार को एक के बाद एक 7.8, 7.6 और 6.0 तीव्रता के तीन भूकंपों ने तुर्की में तबाही मचा दी है। सैकड़ों बहुमंजिला इमारतें ढह गई और हजारों लोग मलबे में दब गए। बिजली गुल हो गई और प्रभावित इलाकों का अन्य शहरों से संपर्क टूट गया। तुर्की सरकार ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। दुनियाभर से राहत सामग्री की खेप तुर्की भेजी जा रही है। भारत ने भी एनडीआरएफ के दल के साथ आवश्यक उपकरण, दवाइयां और अन्य राहत सामग्री तुर्की भिजवा दी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी तक 4300 लोगों के शव मलबे से निकाले जा चुके हैं। हजारों लोग इमारतों के मलबे में दबे होने का अनुमान है। एक आकलन के मुताबिक मौतों का आंकड़ा 35 हजार तक पहुंच सकता है। उधर सीरिया में भी भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। बताया जाता है कि तुर्की के गजियानटेप प्रांत के 26 किमी पूर्व में स्थित नूरदगी में इस भूकंप का केंद्र था। नूरदगी में पूर्वी अनातोलियन फॉल्ट के 18 किमी की गहराई में यह भूकंप आया।
सेस्मोलॉजिस्ट्स की मानें तो अभी कुछ दिनों तक आफ्टरशॉक्स का खतरा बना रह सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो दोनों ही देश के बीच अनातोलियन और अरब प्लेटों के बीच 100 किमी (62 मील) से ज्यादा की टूट हुई है।
20वीं सदी के दौरान पूर्वी अनातोलियन फॉल्ट में विशाल सेसमिक गतिविधि हुई थी।
अमेरिकी जियोलॉजिक सर्वे के मुताबिक सन् 1970 से लेकर अब तक सिर्फ तीन ही भूकंप दर्ज हुए हैं। सन् 1822 में सात की तीव्रता वाला एक भूकंप आया था और उसमें करीब 20,000 लोग मारे गए थे। लंदन इंस्टीट्यूट में रिस्क एंड डिजास्टर मैनेजमेंट के सूत्रों के मुताबिक तुर्की और सीरिया के बॉर्डर पर जो भूकंप सोमवार को आया है वह करीब 250 गुना ज्यादा ताकतवर था। साल 2013 से 2022 तक सिर्फ दो ही खतरनाक भूकंप आए हैं।छह फरवरी को आया भूकंप सबसे ज्यादा खतरनाक रहा।