इंदौर: मन के पाप को वचन में प्रकट करने से रोकने वाला भी धर्मी ही है। हमारी पूरी जिंदगी पड़ौसी या अन्य लोगों से तुलना करने में बीत जाती है। तुलना करना ही है तो उनसे करो जिनके पास खाने को रोटी नहीं है। पहनने को वस्त्र नहीं है।
ये विचार रेसकोर्स रोड स्थित मोहता भवन में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान में आचार्यश्री रत्नसुन्दर महाराज ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जीवन की कामयाबी कम्पलेंट, कम्पेयरिंग, कैलकुलेटिव और क्रिटिसाइज को स्टॉप करने में हैं। हमने ये कर लिया तो जिंदगी सार्थक हो जाएगी। आचार्यश्री के अमृत वचनों को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मोहता भवन में हाजिरी बजा रहे हैं। प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक आचार्यश्री के प्रवचन हो रहे हैं ।
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