इंदौर : एक- दो दिनों से मौसम में बदलाव नजर आने लगा था। आसमान में बादल छाने के साथ हवा की गति तेज होने लगी थी। रविवार दोपहर तेज हवा चलने के साथ बूंदाबांदी भी हुई थी। रात होते ही एक बार फिर चली तेज तेज हवा ने आंधी का रूप ले लिया। हवा की गति इतनी तेज थी कि जगह- जगह पेड़ों की डालियां सड़क पर टूटकर गिर पड़ी। बड़े- बड़े होर्डिंग्स धराशायी हो गए, कच्चे मकानों की चद्दरें उड़ गईं। बिजली के तार टूट गए और सारे शहर में अंधेरा छा गया।
जनहानि की कोई सूचना नहीं।
तेज आंधी चलने से छोटा- मोटा नुकसान जरूर हुआ पर जनहानि की कोई खबर नहीं है। नगर निगम, फायर ब्रिगेड, पुलिस, होमगार्ड आदि के कर्मचारी मुस्तैदी के साथ राहत कार्य के लिए मैदान में उतर गए थे। हालांकि उन्हें ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि लॉक डाउन व कर्फ्यू के चलते लोग घरों में थे। नगर निगम कर्मचारियों ने जगह- जगह गिरी झाड़- पेड़ों की टहनियों और कचरे को रातों- रात साफ कर दिया।
बिजली गुल होने की सैकड़ों शिकायतें।
आंधी में सबसे ज्यादा नुकसान बिजली के तारों को पहुंचा। लगभग पूरे शहर में बिजली गुल हो गई थी। हवा का वेग थमते ही विद्युत वितरण कंपनी के करीब 300 कर्मचारी अलग – अलग दल बनाकर मैदान में उतर गए। कई जगह मामूली फाल्ट होने से जल्दी ही बिजली प्रदाय चालू कर दिया गया। जहां नुकसान ज्यादा हुआ था वहां भी कुछ ही घंटों में विद्युत प्रदाय बहाल कर दिया गया। अधीक्षण यंत्री अशोक शर्मा ने बताया कि एहतियात के तौर पर कुछ लाइनें बंद भी की गई थी। शहर के 11 केवी के 469 फीडरों में से 10.30 तक 400 फीडरों की आपूर्ति पूरी तरह सामान्य कर दी गई थी। सभी प्रमुख अस्पतालों की आपूर्ति अप्रभावित रही। शेष फीडरों को 5-10 मिनट के अंतराल से सामान्य किया गया। 11.30 तक केवल 25 फीडर प्रभावित थे। 12.30 तक इनकी संख्या 15 आ गई। व अगले ढाई घंटे में स्थिति शत प्रतिशत सामान्य हो गई। कंपनी के 300 कर्मचारी एवं 40 इंजीनियरों ने रात 3 बजे तक पूरी तरह स्थिति सामान्य कर दी थी। मप्रपक्षेविविकं के प्रबंध निदेशक विकास नरवाल और मुख्य महाप्रबंधक संतोष टैगोर हर आधे घंटे में अपडेट लेते रहे।