श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने सोमवार को एमिसेट सहित 29 उपग्रह सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिए। पीएसएलवी सी- 45 राकेट के जरिये इन्हें छोड़ा गया। इनमें एमिसेट याने इलेट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटलाइट सबसे अहम बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ये सैटलाइट अंतरिक्ष में भारत की आंख और कान की भूमिका निभाएगा।
प्रोजेक्ट कौटिल्य के तहत बनाया गया एमिसेट।
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु आचार्य चाणक्य के विचारों पर अमल करते हुए कौटिल्य प्रोजेक्ट के तहत एमिसेट का निर्माण किया गया है। डीआरडीओ की हैदराबाद लैब में 8 वर्षों की अथक मेहनत के बाद 436 किलोग्राम वजन के इस सैटलाइट को आकार दिया जा सका।
दुश्मन के रडार पर रखेगा निगाह।
एमिसेट एक तरह से बहुआयामी सैटलाइट है। यह खास तौर पर दुश्मन की संचार प्रणाली, रडार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सिग्नल्स को बखूबी पकड़ सकता है। चीन व पाकिस्तान में चल रही गतिविधियों और तटीय क्षेत्रों की निगरानी करने में एमिसेट अहम रोल अदा करेगा।