देश की आजादी में क्रांतिकारियों के योगदान से नई पीढ़ी को अवगत कराएं- राज्यपाल श्री पटेल

  
Last Updated:  March 26, 2022 " 09:16 pm"

इंदौर : देश को यूं ही आजादी नहीं मिली। इसको पाने के लिए खुदीराम बोस, सावरकर, सरदार भगतसिंह जैसे आजादी के मतवाले ने अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया। हमारी नई पीढ़ी को इसकी जानकारी देना जरूरी है कि फिरंगियों ने किसतरह जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया और हम भारतीयों पर कितने जुल्म किए। आजादी के इस अमृत महोत्सव पर हमारे कवियों, साहित्यकारों का दायित्व है कि वे अपनी लेखनी से इसको उजागर करें। नई पीढ़ी के बच्चे जरा सी तकलीफ में या परीक्षा में कम नंबर आने पर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेते हैं। ऐसे बच्चों को उन व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिये जिन्होंने ताउम्र संघर्ष किया, कठिनाईयां झेली और मजबूती के साथ खड़े रहे। गांधी वो महान व्यक्तित्व है, जिसका नाम लेने से हमारे मन को शांति मिलती है।
ये विचार राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने व्यक्त किए। वे मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के समिति शताब्दी सम्मान, साहित्य उत्सव एवं साहित्यिक संस्थाओं के सम्मेलन के समापन अवसर पर बोल रहे थे। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सांसद शंकर लालवानी, साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे एवं समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी भी मंच पर उपस्थित थे।

प्रो. खडसे और कुंभज को शताब्दी सम्मान।

कार्यक्रम में राज्यपाल मन्गुभाई पटेल ने पुणे के साहित्यकार प्रो. दामोदर खडसे और इंदौर के अग्रणी कवि राजकुमार कुंभज को मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के शताब्दी सम्मान से अलंकृत किया।
इस मौके पर समिति की ओर से राज्यपाल मंगूभाई पटेल को भी हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया गया।

साहित्यकार भी समाज में परिवर्तन ला सकता है।

अपने उद्बोधन में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दोनों मंगलमूर्तियों (खड़से और कुंभज) को बधाई देते हुए कहा कि एक साहित्यकार भी समाज में परिवर्तन ला सकता है।

मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति का गौरवमयी इतिहास।

सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति का गौरव देश भर में है। यह एक ऐसी स्थली है, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी दो बार आए थे। यहां वर्ष भर साहित्यिक गतिविधियाँ होती रहती हैं।

कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने दिया। मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के ऐतिहासिक सफर पर प्रकाश डाला।

सच की आवाज को पहचाने और बचाएं।

अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में राजकुमार कुंभज ने कहा कि हम सब को तमाम तरह की आवाजों से घिरे हुए हैं। ऐसे में सही आवाज को पहचानना बड़ा मुश्किल है। यह आवाजें कई तरह के हमले की सूचक है। अतः हम सच की आवाज को पहचानें, जिससे मनुष्य और मनुष्यता बची रहे।

शिवाजी सावंत की मृत्युंजय ने किया प्रभावित।

अपने सम्मान के लिए हिंदी साहित्य समिति को धन्यवाद देते हुए खड़से ने कहा कि इंदौर से मेरा बहुत ही गहरा और आत्मीय रिश्ता है। मेरा बचपन यहीं के नंदानगर मे गुजरा। इंदौर का भले ही भूगोल बदल गया हो, लेकिन यहां का इतिहास आज भी मेरे साथ है। मुझे सबसे अधिक प्रभावित शिवाजी सावंत की प्रसिद्ध कृति मृत्युंजय ने किया। कई बार अच्छा साहित्य हमको संबल भी देता है, इसका प्रमाण मृत्युंजय है। मासिक पत्रिका वीणा के संपादक राकेश शर्मा ने सभी अतिथियों को वीणा की प्रतियां भेंट की।
अतिथियों का स्वागत म.प्र. साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे एवं प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने किया। सम्मान पत्र का वाचन सूर्यकांत नागर एवं हरेराम वाजपेयी ने किया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन संजय पटेल ने किया।
कार्यक्रम में वीरेन्द्रदत्त ज्ञानी, कृष्णकुमार अष्ठाना, श्यामसुंदर दुबे, प्रेम जनमेजय, अनिल त्रिवेदी, प्रो. सरोज कुमार, विजय लोकपल्ली, प्रवीण जोशी, अशोक कुमट सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, कवि एवं गणमान्य मौजूद थे।

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