देश को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है सोपा का लक्ष्य

  
Last Updated:  October 18, 2024 " 05:47 pm"

खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का निर्णय है स्वागत योग्य, इससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की होगी बचत।

किसानों को अत्याधुनिक तकनीक के साथ गुणवत्तायुक्त खाद व बीज उपलब्ध करवाए सरकार।

सोपा की 07 वी इंटरनेशनल सोया कॉन्क्लेव के अवसर पर पत्रकार वार्ता में बोले सोपा चेयरमैन डॉ. डेविश जैन।

इंदौर: सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा 07 वे इंटरनेशनल सोया कॉन्क्लेव का आयोजन स्थानीय ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश – विदेश से सैकड़ों सोया उद्योग से जुड़े उद्योगपति, प्रोफेशनल्स और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। सोपा (सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन)के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने इस मौके पर पत्रकार वार्ता के जरिए सोया उद्योग से जुड़े मुद्दों को सामने रखा।

2030 तक खाद्य तेलों की जरूरतों का देश में ही होगा उत्पादन।

डॉ. डेविश जैन के मुताबिक खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने और राष्ट्रीय तिलहन मिशन का निर्णय स्वागत योग्य है। सोपा की ओर से निरंतर इसकी मांग की जा रही थी। इन दोनों फैसलों से देश में खाद्य तेल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा ही, बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी, क्योंकि खाद्य तेलों के आयात पर सरकार प्रतिवर्प डेढ़ लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च करती है। चेयरमैन के अनुसार सरकार के इन निर्णयों से 2030 तक खाद्य तेलों की घरेलू डिमांड की 70 फीसदी तक पूर्ति देश में उत्पादित ऑयल सीड्स से की जा सकेगी।

आयात शुल्क बढ़ाने से खाद्य तेलों के दामों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

ये पूछे जाने पर की खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने से महंगाई की मार उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगी..? इस पर सोपा चेयरमैन डॉ.जैन का कहना था कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने का कोई खास असर उसके दामों पर नहीं पड़ेगा। उनका ये भी तर्क था कि जब लोग डेढ़ सौ रुपए लीटर का पेट्रोल खरीद सकते हैं तो वे खाद्य तेल भी खरीद सकते हैं। फिलहाल सोया ऑयल के भाव पेट्रोल से कम हैं। आनेवाले समय में जब खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ेगा तो प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिल सकेगा। उन्होंने ईंधन और खाद्य तेलों की कीमत एक समान स्तर पर लाने पर जोर दिया, ताकि किसानों को भी उसका लाभ मिल सके।

सोया उत्पादकों को अच्छे बीज उपलब्ध कराए सरकार।

सोपा चेयरमैन का कहना था कि सोया प्रोसेसिंग उद्योग में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। इसके चलते सोया उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए किसानों को अच्छी गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने की जरूरत है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। क्वालिटी अच्छी होगी तो किसानों को दाम भी अच्छे मिल सकेंगे और उनकी आय बढ़ेगी। उन्होंने किसानों की सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग को जायज करार दिया।

खाद्य तेलों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य।

डॉ. डेविश जैन ने कहा कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन को सोपा पूरा समर्थन देगा। सरकार, किसान और उद्योगों के मिलाकर हम भारत को तिलहन उत्पादन में सर्वोपरि बनाएंगे, इससे भारत खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा।

सोयाबीन प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत।

पत्रकार वार्ता में मौजूद उद्योगपति गिरीश मतलानी ने कहा कि सोयाबीन में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है। सोया उत्पादों के जन – जन तक पहुंचने से कुपोषण की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है।

सोपा के उपाध्यक्ष गोयनका भी इस दौरान मौजूद रहे।

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