युवाओं को संस्कार, सभ्यता, और संस्कृति से जोड़ने का दायित्व साहित्यकारों पर है

  
Last Updated:  December 25, 2019 " 04:11 pm"

खामगांव- युवापीढ़ी की मानसिकता तेजी से बदलती जा रही है। लड़कियो, महिलाओं की ओर देखने का उनका नजरिया विकृत होने से अप्रिय घटनाओं में इजाफा हो रहा है। युवा वर्ग को भारतीय संस्कृति का विस्मरण हो रहा है।ऐसे में उन्हें संस्कार-संस्कृति का एहसास दिलाने का दायित्व साहित्यकारों पर है। युवाओं को अपनी सभ्यता व संस्कृति से जोड़ने की जिम्मेदारी साहित्यकारों को संगठित रूप से निभानी चाहिए। यह मौजूदा दौर का तकाजा भी है और जरूरत भी।
ये बात महाराष्ट्र के खामगांव में हाल ही संम्पन्न 58 वे अखिल भारतीय अंकुर साहित्य संम्मेलन के समापन समारोह में
खामगांव अर्बन को- ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष आशिष चौबसा ने व्यक्त किये। वे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।
इसी अवसर पर मुख्य अतिथि इंदौर के वरिष्ठ मराठी- हिंदी पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता अनिलकुमार धडवईवाले ने मुख्य अतिथि के रूपमें अपने उदबोधन में महाराष्ट्र से इतर मप्र सहित अन्य प्रदेशों में मराठी भाषा साहित्य व संस्कृति के संवर्धन के साथ ही साहित्य क्षेत्र में किये जा की जा रहे विविध उपक्रमो-आयोजनों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के साहित्यकारों को महाराष्ट्र के बाहर के मराठी रचनाकारों के प्रति अपना नजरिया बदलना चाहिए। उन्हें अपने से कमतर आंकना ठीक नहीं है।
इस मौके पर धडवईवाले की 50 वर्ष की मराठी साहित्य और सामाजिक क्षेत्र की उल्लेखनीय निस्वार्थ सेवाओं के लिए उनका विशेष सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में युवा विधायक आकाश फुंडकर, प्रेस क्लब के अध्यक्ष किशोर भोसले,
समाजसेवी अरुण भगत और संयोजक अरविंद भोंडवे भी मौजूद रहे।
मराठी साहित्यकार स्वर्गीय श्रीकांत कोल्हाटकर सभागार में संम्पन्न इस दो दिवसीय साहित्य संम्मेलन में कवि संम्मेलन, पुस्तक लोकार्पण,कथाकथन, परिसंवाद, पुरस्कार वितरण और सम्मान कार्यक्रम आयोजित किये गए। देशभर से मराठी के नवोदित, वरिष्ठ और सृजनशील रचनाकार सम्मेलन में शामिल हुए। इंदौर से वरिष्ठ साहित्यकार दीपक शिरालकर, सामाजिक कार्यकर्ता रामराव देशमुख और मोहन दीक्षित ने भी शिरकत की।

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