प्रियंका का बेअसर रोड शो, असरदार भाषण

  
Last Updated:  May 14, 2019 " 09:18 am"

इंदौर: रविवार को पीएम मोदी का जादू इंदौर वासियों के सिर चढ़कर बोला था। रोड शो न होने के बावजूद एयरपोर्ट से सभास्थल तक हजारों लोगों ने सड़क के दोनों ओर खड़े रहकर मोदी- मोदी के नारे लगाते हुए प्रधानमंत्री का इस्तकबाल किया था। सभास्थल भी शहर के बाशिंदों से खचाखच भरा हुआ था। लोग परिवार सहित पीएम मोदी को सुनने पहुंचे थे।
उसे देखते हुए सबकी निगाहें प्रियंका गांधी के रोड शो पर टिकी थी। कांग्रेसी यही दावा कर रहे थे कि मोदी मैजिक पर प्रियंका का मैजिक भारी पड़ेगा। इसके पीछे बड़ी वजह ये थी कि प्रियंका गांधी वाड्रा का ये पहला इंदौर दौरा और रोड शो था। दूसरा उन्हें उम्मीद थी कि युवाओं में प्रियंका का क्रेज सर चढ़कर बोलेगा।

रोड शो में नहीं जुट पाई अपेक्षित भीड़।

कांग्रेसियों में प्रियंका के रोड शो को लेकर खासा उत्साह था और वो नजर भी आ रहा था। लेकिन पार्टी के स्थानीय नेता प्रियंका के सामने शक्ति प्रदर्शन का ये मौका छोड़ना नहीं चाहते थे। वे यह भूल गए कि प्रियंका लोकसभा चुनाव के चलते पार्टी प्रत्याशी पंकज संघवी के समर्थन में रोड शो करने आ रही हैं, किसी का शक्ति प्रदर्शन देखने नहीं। जरूरत एकजुट होकर रोड शो को ऐतिहासिक बनाने की थी पर कांग्रेसी नेताओं ने समूचे रोड शो मार्ग पर मंच लगाकर अपनी दुकानें सजा ली। समर्थक भी अपने नेताजी की झांकी जमाने में लगे रहे। राज मोहल्ला से राजवाड़ा तक के ढाई से तीन किमी के रोड शो मार्ग को नेताओं ने अपने झंडे बैनरों से पात दिया था। 100 से अधिक मंच लगाए गर थे।
अपनी झांकी जमाने के चक्कर में कांग्रेसी नेता ये भूल गए कि उनपर रोड शो के लिए भीड़ जुटाने की भी जिम्मेदारी है। वे यही मुगालता पाले रहे कि प्रियंका के नाम पर ही भीड़ जुट जाएगी और लोग दौड़े चले आएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। झंडे उठाने के लिए भाड़े के मजदूर तो मिल गए पर कार्यकर्ताओं का टोटा पड़ गया। उज्जैन का रोड शो फ्लॉप होने से ये खुटका तो हो ही गया था कि कहीं इंदौर में इसकी पुनरावृति न हो जाए। हालांकि हालात वैसे तो नही रहे पर ऐसे भी नही थे जिन्हें संतोषजनक कहा जा सके।

अपनी झांकी जमाने में लगे रहे तीनों मंत्री

सीएम कमलनाथ, इंदौर से ताल्लुक रखने वाले तीन-तीन कैबिनेट मंत्री और पार्टी के सैकड़ों पदाधिकारी मिलकर भी रोड शो के लिए अपेक्षित भीड़ नही जुटा पाए। छिंदवाड़ा के बाहर कमलनाथ का जनता से जुड़ाव नहीं के बराबर है, ये भी इस रोड शो में नजर आया। बड़बोले नेता जीतू पटवारी और दोनों वरिष्ठ मंत्री सज्जन वर्मा एवं तुलसी सिलावट केवल अपनी जमावट में लगे रहे।तीनों प्रयास करते तो वाकई रोड शो ऐतिहासिक बन सकता था। तारीफ करनी होगी मोहन सेंगर की जिन्होनें भीड़ जुटाने में असल मेहनत की। रोड शो में केवल कांग्रेस कार्यकर्ता ही नजर आए, जनता की भागीदारी नहीं के बराबर थी। कहाँ तो मोदी से तुलना कर जनसैलाब उमड़ने का दावा किया जा रहा था पर हक़ीक़त यह थी कि 7-8 हजार लोग ही रोड शो में दिखाई दिए। राजमोहल्ला से शुरू हुआ प्रियंका का ये रोड शो एक घंटे में राजबाड़ा पहुंचकर समाप्त हो गया। महिलाओं और युवतियों की भागीदारी भी रोड शो में बेहद कम रही।

मोदी- मोदी के लगे नारे।

प्रियांक गांधी का काफिला एयरपोर्ट से राजमोहल्ला जाने के दौरान रामचंद्र नगर चौराहे के पास जमा कुछ लोगों ने मोदी- मोदी के नारे लगाए। बताया जाता है कि प्रियंका ने यह देखकर काफिला रुकवाया और नारे लगा रहे लोगों से मिली। प्रियंका ने उनसे कहा कि आप अपनी जगह सही हैं और मैं अपनी जगह। इसके बाद वो वहां से आगे बढ़ गई।

सभा में पीएम मोदी पर किये तीखे वार।

प्रियंका का भाषण जरूर असरदार रहा। उनकी भाषा शैली और उच्चारण राहुल गांधी से बेहतर है। मुद्दों को लेकर उनकी समझ भी राहुल के मुकाबले अच्छी है। उन्होंने इंदौर के लोगों से मतदान को लेकर जागरूक और स्मार्ट बनाने का आव्हान करते हुए पीएम मोदी पर करारे वार किए। प्रियंका ने मोदी को अहंकारी पीएम बताते हुए कहा कि वे खुद को जनता से ऊपर समझने लगे हैं। राफेल मामले में मोदी पर तीखा कटाक्ष करते हुए प्रियंका ने कहा कि उन्हें लगा था मौसम क्लाउडी है पर जनता के रडार पर आ गए। मोदी खुद को तपस्वी कहते हैं पर वे तप नहीं उद्योगपतियों का जप करते हैं। नोटबन्दी, जीएसटी और बेरोजगारी को लेकर भी उन्होंने मोदी की जमकर खबर ली। 5 करोड़ लोगों का रोजगार छिनने का आरोप भी प्रियंका ने मोदी पर लगाया। 5 साल का हिसाब देने की पीएम से मांग करते हुए प्रियंका ने न्याय योजना सहित कांग्रेस के घोषणापत्र के तमाम बिंदु गिनाए और सत्ता में आने पर पूरा करने का वादा भी किया। उनके सहज- सरल लेकिन तीखे कटाक्ष करनेवाले भाषण ने कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने का काम किया।
बहरहाल, प्रियंका के रोड शो और सभा के लिए जिस स्तर की तैयारी कांग्रेसियों को करनी चाहिए थी उसमें वो चूक गए। नतीजा ये रहा कि प्रियंका की मौजूदगी का जो लाभ कांग्रेस को हो सकता था उसमें कमीं राह गई। हालांकि प्रियंका के तेवर देखकर ये तो साफ हो गया कि आनेवाले समय में कांग्रेस की खेवनहार वही होंगी।

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