देश में लोकतंत्र बचेगा तो अवाम की वजह से – मनीष तिवारी

  
Last Updated:  May 17, 2023 " 11:57 pm"

लोकतांत्रिक संस्थाओं में खत्म हो रहा लोकतंत्र।

दलबदल कानून पर खड़े किए सवाल।

इंदौर : सांसद एवं कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए संविधानिक संस्थाओं को चुनौतियों से बचाना नागरिकों की जिम्मेदारी है । हमारे देश में लोकतंत्र नागरिकों के कारण ही बचा है और नागरिकों के कारण ही बचेगा।मनीष तिवारी जाल सभागृह में चल रही अभ्यास मंडल की 62 वी ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में बोल रहे थे।

गांधीजी ने लोगों को जागरूक कर ही दिलाई आजादी।

‘वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में नागरिकों की भूमिका’ पर उन्होंने कहा कि हमारे देश में नागरिकों की भूमिका तो उस वक्त भी महत्वपूर्ण थी जब हम गुलाम थे । महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद पूरे देश का भ्रमण किया । उन्होंने आवाम को जागरुक और लामबंद किया । उन्होंने ऐसा प्रयोग किया कि दुनिया के इतिहास में पहली बार लहर पर भी राज करने वाली ब्रिटिश सरकार से देश को आजादी दिलाई । यह कोशिश इसलिए कामयाब हुई क्योंकि उन्होंने देश की जनता को जागरूक किया ।

वर्तमान परिदृश्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा करना नागरिकों का सबसे बड़ा कर्तव्य है । जो भी देश तरक्की करते हैं तो उसका कारण उस देश के मूल सिद्धांत का बरकरार रहना है । वर्ष 1945 से लेकर 1960 तक की अवधि में विश्व के जितने भी देश आजाद हुए उन सभी में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें लोकतांत्रिक परंपरा कायम रही है। हमारे देश में संसदीय प्रणाली, न्यायपालिका और मीडिया द्वारा गंभीर उत्तर दायित्व का निर्वहन किया गया है पिछले कुछ वर्षों में इन संवैधानिक संस्थाओं पर गंभीर चुनौती सामने आई है।

संविधान के दसवें अध्याय पर पुनर्विचार की जरूरत।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1952 से लेकर 1971 तक हर वर्ष में हमारे देश की संसद 120 से 130 दिन तक चलती थी । अब संसद बमुश्किल पूरे साल में 60 से 62 दिन चलती है । प्रदेश की विधानसभाओं की स्थिति तो और भी ज्यादा खराब है। कुछ प्रदेश ऐसे हैं जहां पूरे साल में विधानसभा का सत्र 20 से 25 दिन ही चलता है। लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोकतंत्र खत्म होने लगा है। विडंबना ये है की जनता द्वारा चुना गया सांसद या विधायक संसद और विधानसभा में जाकर पार्टी लाइन से अलग जाकर अपने क्षेत्र के लोगों की भावना या खुद की अंतरात्मा के आधार पर कोई बात भी नहीं कह सकता है । यदि वह कहने की कोशिश करेगा तो उसे सदन से निकाल दिया जाएगा। यह सबसे बड़ी दुविधा है । हमारे देश के संविधान के दसवें अध्याय पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत।

दलबदल कानून की प्रासंगिकता पर सवाल..?

कांग्रेस प्रवक्ता तिवारी ने दलबदल कानून की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि दलबदल कानून बनाते समय यह दावा किया गया कि आया राम – गया राम की प्रक्रिया पर इससे रोक लगेगी लेकिन कानून के बनने के बाद रिटेल में होने वाला यह काम होलसेल में होना शुरू हो गया है। अब हमारे देश में सांसद तो सरकार और जनता के बीच का चेहरा बनकर रह गया है।

न्यायपालिका की निष्पक्षता की रक्षा करना नागरिकों का धर्म।

न्यायपालिका की निष्पक्षता की रक्षा करना नागरिकों का सबसे बड़ा धर्म है। यदि सरकार से भरोसा उठता है तो हम न्यायपालिका के पास जाते हैं लेकिन यदि वहां से भरोसा उठ गया तो फिर कहां जाएंगे ? पिछले कुछ वर्षों में यह धारणा बनी है कि न्यायपालिका पर दबाव डाला जा रहा है । जज हमेशा अपनी बात फैसले के माध्यम से बोलते हैं । किसी भी मामले की कोर्ट में सुनवाई के समय सोशल मीडिया पर जो ट्रोलिंग होती है , वह शर्मनाक है।

सत्ता पक्ष की बजाए विपक्ष को कंट्रोल कर रहा मीडिया।

मनीष तिवारी ने कहा कि हमेशा से यह होता था कि मीडिया सरकार को कंट्रोल करने का काम करता था लेकिन पिछले 9 वर्षों से हम देख रहे हैं कि मीडिया विपक्ष को कंट्रोल करने का काम कर रहा है । दरअसल हमारे देश में मीडिया का कोई रेवेन्यू मॉडल ही नहीं है।मीडिया की 95% आय विज्ञापन पर आधारित है वह आत्मनिर्भर नहीं है । वर्ष 1974 में राज्यसभा में आरके मिश्रा ने कहा था की प्रेस आजाद नहीं है बल्कि प्रेस के मालिक और मैनेजर आजाद है । यह बात आज सच साबित होती हुई नजर आ रही है । उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में चाहे लाखों कमियां हैं लेकिन इस मीडिया से ही लोगों को अपनी बात कहने का रास्ता मिला है । अराजकता का प्रतिबिंब समझा जाने वाला इंटरनेट मीडिया मानवता के लिए सफल हो गया है । नागरिकों को यह चिंता करना होगी कि क्या लोकतंत्र गोदी मीडिया से चलेगा ? आज गोदी इनकी है कल हमारी हो सकती है । मीडिया के लिए भी बेंच मार्क तय कर दिए जाना चाहिए । हमारे देश में लोकतंत्र बचेगा तो यहां के आवाम की वजह से बचेगा।

सत्ता परिवर्तन होते रहना चाहिए।

राजनीतिक दलों को यह भ्रम है कि अपने बूते पर जीत कर आते हैं । हमारे देश में सत्ता परिवर्तन तभी होता है जब जनता विपक्ष में आ जाती है । अच्छे लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि परिवर्तन होते रहना चाहिए और सरकार आती-जाती रहना चाहिए ।

प्रारंभ में अतिथि वक्ता मनीष तिवारी का स्वागत राजेंद्र बिल्लोरे , रेहाना खान , हबीब बेग, मौसम राजपूत, डॉ.ओ पी जोशी, आदित्य सेंगर ने किया । कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मनीषा गौर ने किया। स्मृति चिन्ह डॉ. एसएल गर्ग ने भेंट किया । अंत में आभार श्याम सुंदर यादव ने माना।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *