नई शिक्षा नीति में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित – बैस।
इंदौर : झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि यदि हमारे देश में शिक्षा की व्यवस्था अच्छी होगी तो बच्चे पढ़ने के लिए दूसरे देशों में नहीं जाएंगे । नई शिक्षा नीति में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित किया गया है।
वे विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि देश में बेहतर विश्वविद्यालय तैयार किए जाना चाहिए और शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता को सबसे ज्यादा शामिल किया जाना चाहिए । हमें क्वांटिटी पर नहीं क्वालिटी पर जोर देना होगा । नई शिक्षा नीति इसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करने का काम कर रही है । हमारे प्रदेश में वैसे भी कोई बड़े विश्वविद्यालय नहीं है इसलिए बहुत ज्यादा विद्यार्थी उच्च शिक्षा में हमारे प्रदेश में प्रवेश नहीं लेते हैं । यदि देश भर की स्थिति को हम देखें तो कई विश्वविद्यालयों और महाविद्यालय में 99% पर ही बच्चों को प्रवेश मिल पाता है । ऐसे में 90% अंक लाने वाला बच्चा भी प्रवेश से वंचित हो जाता है । इस तरह के हालात में बच्चों के द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले भी सामने आते रहते हैं । नई शिक्षा नीति ऐसे सारे बच्चों के लिए शिक्षा के बेहतर अवसर पैदा करेगी । हमें विद्यार्थियों के बीच भी इस शिक्षा नीति को लेकर जागृति का अभियान चलाना चाहिए।
मध्य प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि जब कोविड के दौर में गोबर के यज्ञ कुंड में दी गई आहुति से निकलने वाले धुएं से शुद्धिकरण हो रहा था तब भी इस बात का एहसास हो रहा था कि हमें अपने पुरातन युग की ओर लौटना होगा।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए उज्जैन के संदीपनी आश्रम में भगवान कृष्ण द्वारा शिक्षा प्राप्त किए जाने का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उस दौर में शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण थी और कितने बेहतर तरीके से दी जा रही थी । हमें आज के दौर में भी शिक्षा को उसी बेहतर स्थिति में लाना होगा।
एआईसीटीई के चेयरमैन टीजी सीताराम ने कहा कि नई शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने में हमारा संस्थान अपनी भूमिका अदा कर रहा है । अब हमने मेजर के साथ माइनर डिग्री के कोर्स भी डिजाइन किए हैं । इसके साथ ही स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा के पाठ्यक्रमों में इंटर्नशिप को जोड़ा है । आने वाले समय में भोपाल और बेंगलुरु में भी एआईसीटीई की शाखा खोली जाएगी ।
विद्या भारती संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र कुमार तनेजा ने कहा कि नई शिक्षा नीति वसुधैव कुटुंबकम के मार्ग को प्रशस्त करेगी । इसमें धर्म, अर्थ , ध्यान और मोक्ष का भी समावेश किया गया है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन ने इंदौर घोषणा पत्र को घोषित किया । उन्होंने सभी अतिथियों की उपस्थिति में इस घोषणा पत्र का वाचन कर इस आयोजन में भाग लेने के लिए आए सभी व्यक्तियों के समक्ष इसे प्रस्तुत किया ।
समूह चर्चा :-,
इस समागम में समूह चर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा योजना के क्रियान्वयन सत्र को संबोधित करते हुए प्रोफेसर भगत शरण सिंह ने कहा कि भारत के गौरव पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद द्वारा अपनी पुस्तक विजन 2020 में भी संस्थागत नेतृत्व को लक्षित किया गया है । आज आवश्यकता इस बात की है कि हम उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करें।
समूह चर्चा का एक सत्र नेतृत्व और शासन विषय पर आयोजित किया गया , जिसमें प्रोफेसर के बी दास ने कहा कि हमें सुशासन की स्थापना के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए । इसी आधार पर सभी विश्व विद्यालय, महाविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थान उन्नति का सफर तय कर सकेंगे ।
समूह चर्चा में नई शिक्षा नीति के संदर्भ में आइडिया एक्सचेंज करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर करने के लिए हम सब मिलकर काम कर सकते हैं। जिससे शिक्षा व्यवस्था सुगम होगी। श्री श्री विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीआर शर्मा, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार चक्रवंत, नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिलांग विश्वविद्यालय के कुलपति पी एस शुक्ला ने भी अपने आइडिया बताएं । प्रो कमल एल पाणिग्रही, आईआईटी खड़गपुर ने शिक्षा प्रणाली, मिशन, संस्थानों की दृष्टि ओर विकास के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया ।
विभिन्न विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर ने अपने क्षेत्रों मे एनईपी के तहत किए गए बदलाव एवं उन बदलावों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को साझा किया । गंगाप्रसाद (त्रिपुरा विश्वविद्यालय), अरुण भटनागर (आईआईएसटी कॉलेज) और
दास (झारखंड विश्वविद्यालय) प्रमुख वक्ता रहे। नई शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने के लिए विश्वविद्यालयों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उन समस्याओं के समाधान पर चर्चा एवं बदलाव के लिए विभिन्न वाइस चांसलर के समक्ष विचार विमर्श किया । विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों द्वारा नई शिक्षा नीति के सफलतापूर्वक कार्यालयन को अन्य विश्वविद्यालय के समक्ष साझा किया गया । कुलपतियों ने यह भी बताया कि किन नीतियों का पालन करके उन्होंने नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन किया और भविष्य में वह किन नीतियों की योजना तैयार कर रहे हैं।