🔹चुनावी चटखारे/कीर्ति राणा🔹
कहावत तो यह है कि एक ही नारी सब पर भारी….मध्य प्रदेश में तो फिलहाल दो नारी चिंगारी बनी हुई हैं।इनमें एक तो पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती हैं और दूसरी अपना इस्तीफा मंजूर करने के लिए सरकार के विरुद्ध मैदानी और न्यायालयीन लड़ाई लड़ रही निशा बांगरे हैं।एक ने भाजपा नेतृत्व की नाक में दम कर रखा है तो दूसरी ने सरकार को परेशानी में डाल रखा है।
संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल मंजूर कराने वाली केंद्र सरकार का जब भाजपा शासित राज्यों के साथ पार्टी नेता समवेत स्वर में मोदी गान गा रहे थे तब महिला आरक्षण मामले में ओबीसी वर्ग की महिलाओं को शामिल करने पर अपनी स्वतंत्र राय जाहिर कर धारा के विपरीत उमा भारती ने अपना राग सुनाया।मोदी सहस्त्रनाम जाप में उनका ओबीसी स्तुतिगान अनसुना कर दिया गया तो अब उमा भारती ने मप्र में भाजपा प्रत्याशियों की सूची को लेकर जो वैचारिक बम फोड़ा है उसकी गूंज इको सिस्टम में लंबे समय तक सुनाई देगी।
भाजपा ने अब तक जिन 136 नामों की घोषणा की है उस लिस्ट पर उमा भारती ने सवाल खड़ा कर दिया है।इस बार मप्र के प्रत्याशियों के नाम दिल्ली से ही तय किए जा रहे हैं।चुनाव की कमान भी दिल्ली के नेताओं ने अपने हाथ में ले रखी है। उमा भारती ने पार्टी के किसी बड़े नेता का नाम लिए बगैर निशाना साधा है।महिला आरक्षण के भीतर ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण का प्रावधान न होने को लेकर वे पहले से नाराजगी दिखा चुकी है. अब पार्टी की सूची में ओबीसी महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने पर वे अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से (ट्विट) कर के भी जाहिर कर चुकी हैं।
बीते तीन माह में उनकी सार्वजनिक नाराजी का दूसरा मामला है। इससे पहले उनकी नाराजगी तब सामने आई, जब बीजेपी ने उन्हें जन आशीर्वाद यात्रा के लिए न्योता नहीं भेजा था। उन्होंने कहा था कि अगर आप (बीजेपी) उन नेताओं को पीछे धकेल देंगे, जिनके दम पर पार्टी का वजूद खड़ा है, तो आप एक दिन खुद खत्म हो जाएंगे, साथ ही कहा था कि अगर अब मुझे न्योता मिला, तो भी इस यात्रा में नहीं जाऊंगी।
शिवराज सिंह चौहान को अब बड़ा भाई कहने वाली उमा भारती की एक दशक पहले जो तुनक मिजाजी थी उसके चलते ही एक तरह से उन्हें मप्र से निर्वासित कर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया गया था। तब भी वजह यही थी कि उनके मप्र में रहने का मतलब शिवराज सरकार और पार्टी के लिए मुसीबतें खड़ी करना हो सकता है।
अब भाजपा के लिए उमा भारती की मुखरता परेशानी बढ़ाने वाली हो रही है तो शिवराज सरकार के लिए डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे चुनौती बन गई हैं।
कांग्रेस ने अपनी दो सूची में अब तक 229 नाम घोषित कर दिए हैं, जो मात्र एक सीट रोक रखी है वह बैतूल जिले की आमला सीट है।कांग्रेस तो यहां से निशा बांगरे को प्रत्याशी घोषित करने का मन बना चुकी है लेकिन मप्र सरकार ने अब तक उनका एसडीएम पद से त्यागपत्र स्वीकार करने का मन नहीं बनाया है।मप्र के प्रशासनिक इतिहास में हठधर्मी का यह अनूठा मामला हमेशा याद रखा जाएगा।शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा के मामले में उदारमना सरकार दूसरे शासकीय कर्मचारी के मामले में कितनी निर्मम हो सकती है उसका यह भी उदाहरण है।भिंड से राजीव शर्मा कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते हैं ऐसी चर्चाओं पर इस सूची में चौधरी राकेश चतुर्वेदी का नाम घोषित करने से विराम लग गया है। निशा बांगरे के इस्तीफा मामले में कोर्ट ने भी शासन को अपना मत यथाशीघ्र स्पष्ट करने को कहा है।निशा बांगरे चुनाव लड़ें, जीते या हारे ये तो बाद की बात है लेकिन एक अदना सी महिला अधिकारी को सरकार ने बैठे ठाले पब्लिक फीगर के रूप में तो पब्लिसिटी दे ही दी है। जाहिर है कांग्रेस के टिकट पर वो चुनाव लड़ें और जीत भी जाएं तो एक हद तक सामान्य प्रशासन विभाग का यह अड़ियल रवैया ही उनकी जीत में मददगार साबित हो जाएगा।
अरे…..कछुआ आगे निकल गया..!
स्कूली पाठ्यक्रम में खरगोश और कछुआ के बीच दौड़ की कहानी शायद ही कोई भूला हो।दौड़ में खरगोश ही जीतेगा यह मान कर चला जा रहा था लेकिन कछुआ जीत जाए तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। मप्र में विधानसभा चुनाव की 230 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करने के मामले में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा तो भाजपा को ही चौंकाया है।वह 229 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। पहली सूची मुहूर्त के मुताबिक नवरात्रि के पहले दिन सुबह 9.09 बजे घोषित की और दूसरी सूची गुरुवार को आधी रात के करीब जारी कर दी।कांग्रेस ने दो सूची में 229 नाम घोषित कर दिए अब मात्र एक सीट आमला (जिला बैतूल) पर नाम रोक रखा है।
भाजपा अब तक चार लिस्ट में 136 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुकी है, जिनमें 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों और राज्य सरकार में मौजूदा 25 मंत्रियों के नाम शामिल हैं।उसके शेष बचे 94 नामों में इंदौर के क्षेत्र क्रमांक तीन, पांच और महू के नाम भी घोषित होना है। यह लिस्ट आज रात तक आ सकती है। तीन नंबर से उषा ठाकुर के नाम पर सहमति बन रही है। कविता पाटीदार ने विधानसभा चुनाव लड़ने से अनिच्छा जाहिर की है।महू में कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी के रूप में राम किशोर शुक्ला को मैदान में उतारा है इसलिए भाजपा को भी स्थानीय भावना का सम्मान करना होगा। ऐसा न होने पर विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतर सकते हैं। क्षेत्र क्रमांक पांच में महेंद्र हार्डिया के नाम पर फिर बन रही सहमति से गौरव रणदिवे की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।कांग्रेस के सत्तू पटेल और हार्डिया पिछली बार भी मैदान में थे, हार्डिया बहुत कम अंतर से जीते थे लेकिन पार्टी नेतृत्व को लग रहा है हार्डिया ही जीत का चेहरा हो सकते हैं।