इंदौर : बुद्धि है, लेकिन यदि सदगुण नहीं हैं तो ऐसी बुद्धि व्यक्ति को राक्षस बना देती है। वाणी तो सबके पास है, लेकिन चित्त में पवित्रता नहीं है तो वही वाणी गाली भी बन जाती है। शब्द मारक भी है, तारक भी। हमें प्राप्तियां देखने की नहीं, बल्कि जो छूट गया है उसे देखने की आदत है। हम कांटे देखते हैं, पुष्प नहीं। हमारी दृष्टि वहां जाती है, जहां अनुकूलता नहीं है। आज जरुरत है समाज को अपना नजरिया बदलने की। नजर बदलेगी तो नजारे भी बदल जाएंगे। दुर्भाग्य की बात है कि अनेक ऐसे विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं जिनमें माताओं की पवित्रता और गरिमा को लांछित किया जा रहा है। मेरे भारत की बेटियां आज जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक और समुद्र से लेकर आकाश तक अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रही हैं। मुझे जवाब चाहिए कि किसी साध्वी को कथा में यह जिक्र क्यों करना पड़ रहा है। यह हमारे स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ है। देवियों को चाहिए कि वे ऐसे विज्ञापनों से हमारे सम्मान पर होने वाले आघात को रोकने का हरसंभव प्रयास करें। हिन्दू स्त्री विज्ञापन की वस्तु नहीं होना चाहिए। हमारी माताओं में अपने वात्सल्य से त्रिदेवों को भी शिशु बनाने का सामर्थ्य है। सत्य का पक्षधर बनना भी जरूरी है। हम धर्मभीरू नहीं, धर्मवीर और धर्मयोद्धा बने।
ये प्रेरक और ओजस्वी विचार हैं दीदी मां के नाम से लोकप्रिय राष्ट्रसंत साध्वी ऋतम्भरा देवी के, जो उन्होंने अन्नपूर्णा आश्रम परिसर में चल रहे श्रीराम कथा महोत्सव के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाह प्रसंग के दौरान विभिन्न संदर्भों में व्यक्त किए।
शिव विवाह प्रसंग मनाया, निकली शिवजी की बारात।
कथा में शिव विवाह प्रसंग का उत्सव धूमधाम से मनाया गया और शिवजी की बारात भी पूरे लाव-लश्कर के साथ निकाली गई। इस दौरान सैकड़ों भक्तों ने नाचते-गाते हुए अपनी खुशियां व्यक्त की।
प्रारंभ में अन्नपूर्णा आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि के सानिध्य में आयोजन समिति के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल, महामंत्री संजय बांकड़ा, प्रमुख संयोजक रूपकुमार माहेश्वरी, कवि मुकेश मोलवा, कोषाध्यक्ष श्याम सिंघल, प्रमुख समन्वयक किशोर गोयल, समाजसेवी पी.डी. अग्रवाल कांट्रेक्टर, विहिप के उपाध्यक्ष हुकमचंद सांवला, गिरधारीलाल गर्ग, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग केटी, गोलू शुक्ला आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। विधायक आकाश विजयवर्गीय ने भी कथा श्रवण की और भजनों पर नाचते-गाते हुए अपनी खुशियां व्यक्त की। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में आसपास के तीर्थस्थलों के साधु-संत भी आए हुए हैं। सैकड़ों भक्तों ने कथा स्थल पर बनाए गए मानस मंडप की परिक्रमा भी की। भक्तों की सुविधा के लिए रियायती मूल्य पर स्वल्पाहार एवं भोजन की व्यवस्था तो है ही, शीतल पेयजल, साफ-सफाई, सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा, निःशुल्क वाहन पार्किंग, सुविधा घर आदि के समुचित प्रबंध भी किए गए हैं। कथा प्रतिदिन दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक हो रही है।
गोसेवकों का सम्मान।
इस अवसर पर मां पराम्बा गोभक्त मंडल के माध्यम से ग्रामीण अंचलों की गौशालाओं को भूसा, प्याऊ और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले योगेश होलानी, बोरखेड़ा उज्जैन के ईश्वरसिंह एवं गोपीलाल पटेल, कृष्ण-बलदाऊ गोधाम सिकंदरी के पं. योगेन्द्र उपाध्याय, मुरारीलाल तिवारी गौशाला के महेन्द्र पंवार, ग्राम बांवलिया के नारायणदास वैष्णव, सुरेन्द्र ओवाल, धर्मेन्द्र परिहार, मनीष गेहलोत, बालमुकुंद सोलंकी सहित अनेक गौसेवकों को दीदी मां के सानिध्य में समिति के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल एवं अन्य पदाधिकारियों ने सम्मानित किया।