नर्मदा साहित्य मंथन ‘अहिल्या पर्व’ का आयोजन 31 जनवरी से

  
Last Updated:  January 28, 2025 " 07:20 pm"

विभिन्न सत्रों के माध्यम से पर्यावरणीय जागरूकता और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण पर दिया जाएगा जोर।

भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को ध्यान में रखकर की जाएगी विशेष चर्चा।

इंदौर : विश्व संवाद केन्द्र मालवा के वार्षिक साहित्योत्सव ‘नर्मदा साहित्य मंथन’ के चतुर्थ सोपान “अहिल्या पर्व” का आयोजन 31 जनवरी से 2 फरवरी 2025 तक इन्दौर में होने जा रहा है। इस साहित्योत्सव का उद्देश्य समाज जीवन के विविध पक्षों पर विचार-मंथन कर समाज को वैचारिक रूप से जागरूक करना है। इसके माध्यम से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जागरण के साथ ही, नागरिक कर्तव्य से संबंघित विषयों पर प्रबोधन के सत्र भी आयोजित होंगे। विशेष रूप से यह साहित्य उत्सव युवाओं को राष्ट्र निर्माण और समाज सुधार में उनकी भूमिका को लेकर प्रेरित करेगा, इसी के साथ लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के कृतित्व, पर्यावरणीय जागरूकता और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक माध्यम होगा।
इस सोपान में ‘अहिल्या पर्व’ के रूप में मालवा की ऐतिहासिक धरोहरों, भारतीय ज्ञान परम्परा एवं संस्कृति को केन्द्र में रखकर विशेष चर्चा की जाएगी।
उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी का “खंडन-मंडन की भारतीय परंपरा” विषय पर उद्बोधन होगा। इसके बाद पहले सत्र में श्याम मनावत “विश्व कल्याण में रामराज्य की भूमिका” पर चर्चा करेंगे। भारती ठाकुर लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के महान कार्यों और उनके योगदान पर प्रकाश डालेंगी। श्रीमती क्षमा कौल “हिन्दू विस्थापन की पीड़ा” पर अपने विचार व्यक्त करेंगी।
‘मंचीय कविता का वर्तमान परिदृश्य – चिंताएं और समाधान’ पर अमन अक्षर, साक्षी, शिवांगी प्रेरणा से विकास दवे संवाद करेंगे। “हिन्दू संस्कृति रक्षा में मातृशक्ति के योगदान” विषय पर चारण कवि गिरधरदान रत्नु संवाद करेंगे। द्वितीय दिवस में “पर्यावरण स्थिरता और संरक्षण में नदियों का महत्व” पर श्रीमती क्षिप्रा पाठक, “राष्ट्र पुनर्निर्माण में युवाओं के कर्तव्य” विषय पर माधवेन्द्र सिंह, हिन्दू समाज में एकात्मकता विषय पर गुरुप्रकाश पासवान, ‘OTT के कारण सांस्कृतिक विकृति’ विषय पर उदय माहुरकर, ‘कल्चरल माक्सर्वाद का परिवारों पर प्रभाव’ विषय पर पवन विजय अपने विचार रखेंगे।
साहित्योत्सव के तीसरे और अंतिम दिन जयदीप कर्णिक और अमिताभ अग्निहोत्री ‘पत्रकारिता के भारतीय तत्व’ विषय पर चर्चा करेंगे,अशोक जमनानी ‘नर्मदा परिक्रमा’ के सांस्कृतिक व पर्यावरणीय महत्व पर विचार रखेंगे। लक्ष्मीनारायण संविधान की भारतीयता विषय पर प्रकाश डालेंगे। इतिहास लेखन के इतिहास पर श्रीकृष्ण श्रीवास्तव एवं एम. एस. चैत्रा भारतीय ज्ञान परंपरा व उसके विभिन्न दृष्टिकोण विषय पर चर्चा करेंगे। समापन सत्र में हेमंत मुक्ति बोध अपने विचार रखेंगे। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की पत्रकारिता और जनसंवाद अध्ययनशाला तथा कालिदास अकादमी, उज्जैन साहित्योत्सव में सहयोगी भूमिका निभा रहे हैं। इस साहित्य मंथन में प्रथम दिन रात्रि में ‘पुण्यश्लोका अहिल्या’ नृत्यनाटिका का मंचन होगा।वहीं दूसरे दिन ‘राम एक युगपुरुष’ का मंचन किया जाएगा। साहित्य मंथन में मालवा निमाड़ के साहित्यकारों की पंद्रह से अधिक पुस्तकों का विमोचन भी होगा। साहित्योत्सव के दौरान देवी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन चरित्र पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी जिसका उद्घाटन इतिहासकार दिलीपसिंह जाधव और प्रांत संघ चालक प्रकाश शास्त्री करेंगे। नर्मदा साहित्य मंथन में निमाड़ के पद्मश्री उपन्यासकार जगदीश जोशीला का अभिनंदन भी किया जाएगा।

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