इंदौर : नाबालिग बेटी के साथ दुष्कृत्य करने वाले सौतेले पिता को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।
जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि न्यायालय- श्रीमती सुरेखा मिश्रा, तेरहवें अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) इंदौर ने थाना राजेन्द्र नगर के अपराध क्रमांक 485/2019 जिला इंदौर में निर्णय पारित करते हुए आरोपी को धारा 376(2)(3)(एन)(एफ) भादवि में आजीवन कारावास जिसका अभिप्राय शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए होगा एवं धारा 506 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल छ: हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती सुशीला राठौर एवं एडीपीओ पदमा जैन द्वारा की गई ।
अभियोजन कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 03/07/19 को बालिका ने पुलिस थाना राजेन्द्र नगर, इंदौर में इस आशय कि रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि वह कक्षा आठवीं में पढती है। अपनी मॉ, भाई व सौतेले पिता (आरोपी) और सौतेले भाई साथ इंदौर में किराये के मकान में रहती है। उसके पिता की पॉच वर्ष पूर्व एक्सीडेंट होने से मृत्यु हो गई थी। उसकी मॉ ने आरोपी से दूसरी शादी कर ली थी। उसकी मॉ के एक पैर में बीमारी होने से वह रात में दवाई खाती है जिससे उन्हें नशा हो जाता है । दिनांक 06/01/2019 की रात में जब उसकी मॉ गोली खाकर सो गई थी और उसके भाई सो रहा था तो उसका सौतेला पिता (आरोपी) रात में उसके पास आया और उसका मुंह दबाकर गलत काम करने लगा । वह दर्द से रोने लगी तो आरोपी उससे बोला कि किसी को कुछ बताया तो जान से मार दूंगा । उसने डर के कारण मॉ को नहीं बताया। इसके बाद उसके सौतेले पिता ने दो-तीन महीने तक रात में कई बार उसके साथ गलत काम किया। उसने एक महीने पहले हिम्मत करने सारी बात मॉ को बताई, तो आरोपी ने उसे व उसकी मॉ को जान से मारने की धमकी दी और मारा-पीटा । दिनांक 03/07/19 को उसके घर में उसकी मॉ से कोई पहचान वाले उसकी शादी की बात कर रहे थे तो वह घर से बाहर आ गई और पडोस में दादी के घर चली गई । उसके सौतेले पिता उसे लेने आए तो उसने जाने से मना कर दिया। उनके जाने के बाद दादी ने पूछा कि वह घर क्यों नहीं जा रही है तो उसने दादी को बताया कि उसके पापा उसके साथ गलत काम करते है इसलिये वह घर नहीं जाएगी। फिर दादी ने पुलिस को फोन कर दिया। संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपी के विरूद्ध धारा 376(2)(च),376(2)(आई),376(2)(एन),506 भादवि एवं 5(एल)/6, 5(एन)/6 पॉक्सो एक्ट) के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया । जिस पर से आरोपी को उक्त सजा सुनाई गई।