भोपाल : ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों द्वारा विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस और सीएम कमलनाथ अल्पमत में चुकी अपनी सरकार बचाने के लिए हरतरह के हथकंडे अपना रहे हैं। योजनाबद्ध ढंग से रणनीति के साथ फ्लोर टेस्ट से बचने की कवायद की जा रही है। इसके चलते राज्यपाल के आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया।
विधायकों को तोड़ने में नहीं मिली सफलता।
दरअसल सीएम कमलनाथ और कांग्रेस के अन्य नेता उम्मीद लगाए हुए थे कि वे बंगलुरु में डेरा डाले सिंधिया समर्थक विधायकों में फुट डालकर अपने पाले में कर लेंगे और सरकार बचा लेंगे पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों को हटाने के साथ स्पीकर के जरिये उनके विधायक पद से इस्तीफे मंजूर करवाकर भी अन्य विधायकों पर दबाव बनाने की कोशिश की गई लेकिन एक भी विधायक की वापसी नहीं हुई। 114 में से 22 विधायक चले जाने से कांग्रेस के पास 92 विधायक ही बचे हैं। 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का मिलाकर भी उसके पास 99 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। बहुमत का आंकड़ा वर्तमान संख्या बल के हिसाब से 104 है। इससे स्पष्ट है कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है। बावजूद इसके नए- नए दांव पेंच अपनाकर समय को लंबा खींचा जा रहा है। इसके चलते संवैधानिक प्रक्रिया को भी दांव पर लगा दिया गया है।
राज्यपाल के आदेश को दरकिनार किया।
कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने से राज्यपाल लालजी टण्डन ने सीएम कमलनाथ को पत्र लिख कर सोमवार 16 मार्च को विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने को कहा था। राज्यपाल अपना अभिभाषण एक मिनट में समाप्त कर लौट गए थे पर स्पीकर ने योजनाबद्ध ढंग से राज्यपाल के आदेश को दरकिनार कर सदन की कार्रवाई 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। फ्लोर टेस्ट होता तो सरकार का गिरना तय था। सदन को बिना फ्लोर टेस्ट के यूं मनमाने ढंग से स्थगित किये जाने पर हंगामा मचना स्वाभाविक था। बीजेपी विधायकों ने इसपर गंभीर ऐतराज जताया पर उनकी नहीं सुनी गई।
राज्यपाल हुए सख्त, 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट का दिया आदेश।
अपने आदेश की अवहेलना से नाराज राज्यपाल ने सीएम कमलनाथ को कड़ा पत्र लिखते हुए मंगलवार 17 मार्च हर हाल में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। पत्र में चेतावनी दी गई है कि आदेश का पालन नहीं किया गया तो ये मान लिया जाएगा कि सरकार बहुमत खो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई।
फ्लोर टेस्ट ताबड़तोड़ करवाने की मांग को लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा दिया है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता मंगलवार 17 मार्च को सुनवाई करेंगे।
बहरहाल, तमाम दांव पेंच अपनाने के बावजूद आसार यहीं हैं कि कमलनाथ सरकार कभी भी रुखसत हो सकती है। मंगलवार का दिन उसकी रवानगी का समय तय कर देगा।