चंडीगढ़ : देशभर में सिमट रही कांग्रेस के पास महज तीन राज्यों की सत्ता बची है पर वहां भी घमासान चल रहा है। पंजाब में नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच छिड़ी सियासी जंग में अंततः कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। शनिवार को नाटकीय घटनाक्रम के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शाम को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मिलकर सीएम पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनके सभी मंत्रियों ने भी अपने इस्तीफे राज्यपाल को सौंप दिए।
मेरा अपमान किया गया।
राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से चर्चा में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से सुबह बात की थी, उसके बाद ही इस्तीफा देने का निर्णय कर लिया था। उन्होंने कहा कि बार- बार विधायकों को बुलाकर बात की जा रही है, इससे ये दर्शाया जा रहा है कि मैं सरकार नहीं चला पा रहा हूँ। मुझे अपमानित महसूस हुआ है, इसीलिए मैने सीएम पद से हटने का फैसला किया।
भविष्य की राजनीति का विकल्प खुला।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वे अपने साथियों के साथ विचार- विमर्श कर अगला कदम उठाएंगे। उनके पास भविष्य की राजनीति का विकल्प खुला है।
सिद्धू सीएम के बतौर बर्दाश्त नहीं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ कर दिया कि वे नवजोत सिद्धू को पंजाब के सीएम के बतौर बर्दाश्त नहीं करेंगे। सिद्धू का संबंध पाकिस्तान से है। पाक पीएम इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल बाजवा उसके दोस्त हैं। ऐसे व्यक्ति के हाथ में पंजाब की बागडौर सौंपना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
नए सीएम का फैसला सोनिया गांधी पर छोड़ा।
इस बीच कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नए सीएम को लेकर फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया गया। बताया जा रहा है कि 78 विधायक बैठक में मौजूद थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह बैठक में शामिल नहीं हुए। संभावना जताई जा रही है कि सुनील जाखड़ या प्रतापसिंह बाजवा पंजाब के नए सीएम हो सकते हैं।
बगावत कर सकते हैं कैप्टन।
बता दें की सिद्धू व आलाकमान समर्थक 40 से अधिक विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। हालांकि अमरिंदर के समर्थक विधायकों की संख्या भी अच्छी खासी है। कैप्टन के बगावती तेवर देखते हुए इस बात की प्रबल आशंका बनी हुई है कि नई सरकार बन भी गई तो उसके टिके रहने की संभावना कम ही है। ये भी संभावना जताई जा रही है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी छोड़कर नई पार्टी बना सकते हैं।