पर्यावरण को धर्म मानकर उसके संरक्षण के लिये सभी मिलकर काम करें।
एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच के सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने ली बैठक।
पर्यावरण को धर्म मानकर उसके सरंक्षण के प्रयास करें।
इंदौर : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की प्रिंसिपल बेंच नई दिल्ली के सदस्य डॉ.अफरोज अहमद ने कहा है कि पर्यावरण एक धर्म है। पर्यावरण को धर्म के रूप में स्वीकार करना होगा। सभी मिलकर पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए समन्वित प्रयास करें। पुराने नदी, नालों, कुएं बावड़ियां आदि को संरक्षित कर उनके जीर्णोद्धार के प्रयास करें। अधिक से अधिक पौधरोपण करें। किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैले इसके लिए भी मिलकर प्रयास किए जाएं। इंदौर जिले में पर्यावरण को संरक्षित करने और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के परिपालन में किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इंदौर क्षेत्र इस दिशा में पूरे देश में मॉडल है।
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में चल रहे कार्यों का लिया जायजा।
डॉ. अफरोज अहमद की अध्यक्षता में शुक्रवार को पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विभागों की संयुक्त बैठक कलेक्टर कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी, नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह, वनमंडलाधिकारी नरेंद्र पंडवा,एडिशनल पुलिस कमिश्नर राजेश हिंगणकर सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में डॉ. अफरोज अहमद ने जिला एनवायरमेंट प्लान, एनजीटी द्वारा जारी आदेश एवं निर्देशों के परिपालन में किए गए तथा चल रहे कार्यों, वायु गुणवत्ता, सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, ई वेस्ट मैनेजमेंट, एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों की जानकारी लेकर उनकी समीक्षा की।
इंदौर में हो रहे कार्य अन्य जिलों के लिए अनुकरणीय।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण बचाने की दिशा में इंदौर जिला तेजी से आगे बढ़ा है। यहां हो रहे कार्य अन्य जिलों के लिए अनुकरणीय है। पर्यावरण संरक्षण के लिए इंदौर देश को नई राह दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर शहर स्वच्छता के क्षेत्र में पूरे देश में अव्वल है। इंदौर शहर के आसपास के क्षेत्रों में भी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि शहर के आसपास कहीं कचरा जलता हुआ या इधर-उधर बिखरा हुआ नहीं दिखे। उन्होंने कपड़े के थैले को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई। उन्हों सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को पूर्णत: प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए।
भूजल को संरक्षित करने की जरूरत।
उन्होंने कहा कि भूजल स्तर का अत्यधिक दोहन होने से इंदौर जिले में भूजल की क्रिटिकल स्थिति है, ऐसे समय में शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, रियल एस्टेट सेक्टर में भूजल उपयोग की अनुमति ली गई है या नहीं इसकी मानिटरिंग लगातार की जाए। भू-जल स्तर को संरक्षित करना आज के समय की बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक अभियान सभी मिलकर चलाएं और एक एसओपी भी तैयार की जाए।
उन्होंने कहा कि आज हम बड़ी नदियों के जल पर पूरी तरह आश्रित हो गए हैं। हमें छोटी-छोटी तथा स्थानीय जल संरचनाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। पुराने कुएं, तालाब और बावड़ियों को संरक्षित करने व उनके जीर्णोद्धार के लिए भी अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भू-जल की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। वर्षा जल की प्रत्येक बिंदु को सहजने का काम किया जाए। उन्होंने कहा कि नई कालोनियों में ग्रीन बेल्ट जरूर विकसित हो ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। स्कूली बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के संबंध में जागरूक बनाया जाए। इसमें पुलिस की भूमिका भी सुनिश्चित हो। प्रदूषण की रोकथाम के लिए एसओपी बनाई जाए।
नदियों के दोनों किनारों को नो डेवलपमेंट जोन बनाएं।
डॉ. अफरोज अहमद ने कहा कि नदियों की जिंदगी सभी मिलकर बचाएं। उसके केचमेंट एरिया को सुरक्षित रखें। नदी के दोनों ओर निर्धारित क्षेत्र को नो डेवलपमेंट जोन बनाएं। इस क्षेत्र में किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होने दे।
उन्होंने कहा कि उद्योग एवं खनिज खदान संचालकों से सीएसआर फंड लेकर एक एनवायरमेंट फंड जिला स्तर पर बनाया जाए। जिलों में प्रतिबंधित हानिकारक पेस्टिसाइड का उपयोग, क्रय-विक्रय एवं भंडारण पर सख्ती से रोक लगाई जाए। पराली के अन्य उपयोग पर भी ध्यान दिया जाए।
मिलकर करें प्रदूषण की रोकथाम।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को प्रदूषण की रोकथाम के मानकों एवं मापदंडों का पूर्ण पालन करना चाहिए। इसके लिए नियमित मॉनिटरिंग हो। प्रदूषण से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाए। हर तरह के प्रदूषण की रोकथाम के लिए सभी मिलकर संयुक्त प्रयास करें।
बैठक में कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी और नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने इंदौर जिले में पर्यावरण संरक्षण और एनजीटी द्वारा दिए गए आदेशों और दिशा-निर्देशों के परिपालन के तहत की जा रही कार्रवाई की जानकारी दी।