पश्चिम क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं ने लताजी को पेश की आदरांजलि

  
Last Updated:  February 13, 2022 " 06:41 pm"

इंदौर : स्वर कोकिला लता मंगेशकर अद्वितीय गायिका थीं। उनके गले मे साक्षात सरस्वती का वास था, यही कारण है कि उनका गया हर गीत सधे सुर के साथ शास्त्रीयता का पुट भी लिए होते थे। उनका स्वर कोमल और विविधता लिए था, यही कारण है कि उन्होंने छोटे बच्चे के लिए अपनी आवाज दी तो युवा नायिका के लिए भी, उन्होंने भजन भी पूर्ण भक्ति भाव से गाए। देश भक्ति गीत गा कर तो वे सदा के लिए अमर हो गई। जन जन की आवाज बन गई । ये विचार शहर की ख्यात गायिका कल्पना झोकरकर ने लता मंगेशकर की स्मृति में आयोजित आदरांजलि कार्यक्रम में व्यक्त किए ।
शहर के पश्चिम क्षेत्र की 20 से भी अधिक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से धनवंतरी नगर स्थित सिद्धि विनायक गणेश मंदिर के सभागृह में लताजी की स्मृति में ये अनूठी श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई थी। कार्यक्रम में शहर के ख्यात शास्त्रीय गायकों ने लताजी को शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की जबकि सुगम संगीत के दिग्गज गायक श्रद्धा जगताप और प्रसन्ना राव ने लताजी द्वारा गाए हुए हिंदी ,मराठी के कालजयी गीत और भजनों की प्रस्तुति दे कर उन्हें सुरमई श्रद्धांजलि दी। राज्य स्तरीय लता अलंकरण 2020 की पुरस्कार विजेता युवा गायिका सृष्टि जगताप, आर्या पुरोहित ने भी लताजी के गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया । इसके अलावा अंजलि मराठे, गुरुषा दुबे और जयति बेहरे ने भी लताजी के गीतों की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी ।

कार्यक्रम की शुरुआत में शहर की ख्यात गायिका कल्पना झोकरकर, शोभा चौधरी और गौतम काले ने लताजी को शाब्दिक श्रद्धांजलि दी इसके पश्चात गीतों की प्रस्तुतियां शुरू हुई । सर्वप्रथम सृष्टि ने लताजी का गाया संत तुकाराम का मराठी अभंग सुंदर ते ध्यान उभे विटे वरी गाया , इसके बाद आर्या पुरोहित ने फ़िल्म ज्वेल थीफ का गीत रुला के गया सपना मेरा की प्रस्तुति दी । दोनों युवा गायिकाओं के बाद श्रद्धा ने माइक संभाला और महल फ़िल्म के सदाबहार गीत आएगा आनेवाला को अपनी आवाज में गा कर श्रोताओं को एहसास करा दिया की वे लता को अपने समक्ष ही सुन रहे हैं। इसके बाद श्रद्धा ने दस्तक फ़िल्म के गीत माई रे मैं का से कहूं, पेश किया। इसके बाद भोपाल के गायक प्रसन्ना राव मंच पर श्रद्धा का साथ देने आए। दोनों ने अपनी कशिश भरी आवाज में जंगली फ़िल्म का गीत अहसान तेरा होगा मुझ पर प्रस्तुत किया। । अगली प्रस्तुति सृष्टि ले कर आई। उन्होंने लताजी का गाया हुआ लोकप्रिय मराठी गीत श्रावनात घन नीला बरसला की प्रस्तुति दे कर दर्शा दिया की हिंदी के साथ मराठी गीतों के उच्चारण में भी वे बेहद स्पष्ट है । इसके बाद श्रद्धा ने भी एक मराठी गीत की प्रस्तुति दी सुन्या सुन्या मैफलित माझ्या फ़िल्म उम्बरठा के इस गीत को स्मिता पाटिल पर फिल्माया गया है ।
इसके बाद फ़िल्म बीस साल बाद का गीत श्रद्धा ने गाया कहीं दीप जले कहीं दिल
इसके बाद मेडली का दौर चला। पहले प्रसन्ना और श्रद्धा ने लता और रफी के गाए युगल गीतों की प्रस्तुति दी उसके बाद श्रद्धा ने अपनी मेडली में लता के गाए एकल गीतों की प्रस्तुतियां दी। फ़िल्म हीना से चिट्ठिये और फ़िल्म किनारा से मेरी आवाज ही पहचान है की प्रस्तुति से श्रद्धा ने लता जी स्वरांजलि दी। तीन घंटे से अधिक चले कार्यक्रम का समापन भावुक कर देने वाला था मंच से श्रद्धा गीत गा रही थी ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी और सभागृह में उपस्थित सैकड़ों श्रोता अपने स्थान पर खड़े हो कर हाथ मे प्रज्ज्वलित मोमबत्ती और आंखों में पानी लिए लताजी को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाया योगेश पाठक और उनकी टीम के संगीत संयोजन ने । समस्त संगत कलाकारों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। सूत्र संचालक सुगंधा बेहरे ने लताजी से जुड़ी कई अहम और महत्वपूर्ण बातें अपने रोचक अंदाज में बयां की जिससे कार्यक्रम गरिमामय बना । साउंड सिस्टम गौरव कासकर का था ।

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