इंदौर : एमपी पीएससी की प्रारम्भिक परीक्षा में आदिवासी भील समुदाय के बारे में आपत्तिजनक प्रश्न पूछे जाने का मामला तूल पकड़ गया है। जय आदिवासी युवा संगठन ‘जयस’ की इंदौर इकाई के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को रेसीडेंसी कोठी क्षेत्र स्थित मप्र लोकसेवा आयोग के कार्यालय पर प्रदर्शन कर जोरदार नारेबाजी की।उन्होंने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
आयोग के अध्यक्ष, सचिव को हटाया जाए।
जयस कार्यकर्ता सोमवार दोपहर लोकसेवा आयोग के कार्यालय पहुंचे। संगठन की इंदौर शाखा के अध्यक्ष रविराज बघेल की अगुवाई में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश जताया।
उनका कहना था कि पीएससी की 12 जनवरी को सम्पन्न हुई प्रारम्भिक परीक्षा के सी- सेट प्रश्न पत्र में भील जनजाति को लेकर पूछा गया सवाल बेहद आपत्तिजनक था। इससे भील जनजाति के साथ समूचे आदिवासी समुदाय के सम्मान को गहरा आघात पहुंचा है। उनमें भारी आक्रोश है। पूछा गया सवाल संविधान की मूल भावना के विपरीत होने के साथ एससी-एसटी एक्ट के भी खिलाफ है।
जयस इंदौर के अध्यक्ष रविराज बघेल ने कहा कि ये मामला बेहद निंदनीय है। उन्होंने ज्ञापन के जरिये राज्यपाल से मप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भास्कर चौबे और सचिव रेणु पन्त को तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की। इसी के साथ अन्य सम्बन्धित अधिकारियों की जवाबदेही तय करके उनके खिलाफ एससी- एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई किये जाने की भी मांग की गई। ज्ञापन के जरिये प्रश्न पत्र से भील जनजाति के अपमान से जुड़ा गद्यांश और प्रश्न हटाकर शेष अंकों को ही पूर्णांक के रूप में निर्धारित करने पर भी जोर दिया गया।
एबीवीपी ने भी सौंपा ज्ञापन।
एमपी पीएससी की परीक्षा में भील जनजाति को लेकर आपत्तिजनक सवाल पूछे जाने का छात्र संगठन एबीवीपी ने भी विरोध किया। संगठन के कार्यकर्ता लोक सेवा आयोग के कार्यालय पहुंचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिये समूचे मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई।
जयस और एबीवीपी के प्रदर्शन को देखते हुए लोक सेवा आयोग के दफ्तर पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। प्रदर्शनकारियों से ज्यादा संख्या पुलिस जवानों की थी। हालांकि दोनों संगठनों के प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे।