आकाशवाणी इंदौर केंद्र के जिम्मेदार ठीक से बता नहीं पाए क्षेत्रीय भाषा की अहमियत।
प्रसारण अवधि में भी कटौती, अब सप्ताह में एक दिन ही प्रसारित होंगे लोकप्रिय कार्यक्रम।
♦️कीर्ति राणा♦️
आकाशवाणी इंदौर केंद्र से हर रोज मालवी-निमाड़ी भाषा में प्रसारित होने वाला खेती गृहस्थी कार्यक्रम अब सप्ताह में एक दिन वह भी हिंदी भाषा में प्रसारित होगा। प्रसार भारती के निर्णय ने एक तरह से मालवी-निमाड़ी भाषा का गला घोंट दिया है।आकाशवाणी इंदौर केंद्र के जिम्मेदार अधिकारी अपने कार्यक्रमों की अहमियत समझा देते तो क्षेत्रीय भाषा का मान-सम्मान बचा रहता।
प्रसार भारती के सीईओ शशिधर वैमपति द्वारा जारी नीतिगत निर्देशों के तहत आकाशवाणी के छह प्रायमरी केंद्रों की प्रसारण अवधि को कम करने के साथ ही इन्हें अब आकाशवाणी मप्र में समाहित कर दिया है। मप्र के इन केंद्रों को लेकर यह निर्णय एक मई से लागू हो गया है। इससे पहले प्रायमरी केंद्रों को राज्य मुख्यालय के केंद्र में समाहित करने का निर्णय बीते वर्ष नवंबर से उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में लागू कर दिया था।
मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से मालवा-निमाड़ की विधानसभा सीटों पर अपना दबदबा कायम करने की होड़ चल रही है।प्रसार भारती द्वारा क्षेत्रीय भाषा (मालवी-निमाड़ी) का गला घोंटे जाने के इस निर्णय पर लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन सहित इंदौर और उज्जैन इन दोनों संभागों के सांसदों ने भी कोई जागरुकता नहीं दिखाई है।
प्रसार भारती द्वारा लागू नई नीति के तहत अब प्रायमरी केंद्र इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, छतरपुर और भोपाल को एकजाई कर आकाशवाणी मध्यप्रदेश नाम दिया गया है।इस निर्णय के साथ प्रायमरी केंद्रों की प्रसारण अवधि में भी कटौती कर दी गई है।
🔺15 घंटे की प्रसारण अवधि अब 9 घंटे।
आकाशवाणी इंदौर केंद्र से एक मई के पहले तक सतत 15 घंटे विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित होते थे, अवधि घटाकर अब 9 घंटे कर दी गई है।इस केंद्र से पहले जो कार्यक्रम रोज प्रसारित होते थे अब आकाशवाणी मप्र से सप्ताह में एक दिन मंगलवार को ही प्रसारित होंगे।इस केंद्र के लोकप्रिय कार्यक्रमों में खेती गृहस्थी, महिला सभा, युव वाणी ने अन्य प्रसारण क्षेत्रों में भी पहचान बना रखी थी। अब सप्ताह में एक दिन प्रसारण से इन कार्यक्रमों में भागीदारी करने वाले कलाकारों को भी अवसर कम मिलेंगे। खेती गृहस्थी कार्यक्रम अब हिंदी में प्रसारित करने से इस कार्यक्रम में पहले क्षेत्रीय भाषा में प्रसारित लोकगीतों पर भी अंकुश लग गया है।इस नई नीति से कलाकारों को तो अवसर पर अंकुश तो लगा ही है।निकट भविष्य में आकाशवाणी के इन प्रायमरी केंद्रों के एनाउंसर-प्रोगामर की छंटनी का खतरा भी मंडराने लगा है। क्योंकि जब प्रसारण अवधि में कटौती कर दी गई है तो अगला प्रहार स्टॉफ पर होना भी तय है।
🔺नंदाजी-भेराजी-कानाजी की लोकप्रियता।
आकाशवाणी इंदौर केंद्र का खेती गृहस्थी कार्यक्रम दशकों तक टॉप वन रहा है। इसकी वजह इस कार्यक्रम को मालवी-निमाड़ी भाषा में नंदाजी (कृष्णकांत दुबे), भैराजी (लोक गायक
सीताराम वर्मा) और कानाजी द्वारा बातचीत के लहजे में प्रस्तुत करने का अनूठा अंदाज भी था।अब ये कलाकार तो नहीं रहे लेकिन खेती-गृहस्थी कार्यक्रम मालवा-निमाड़ के ग्रामीण श्रोताओं में महिला सभा की तरह ही लोकप्रिय है।
🔺सहायक केंद्र निदेशक केके वर्मा बोले मैं बात नहीं करुंगा।
आकाशवाणी इंदौर केंद्र के सहायक निदेशक किशोर कुमार वर्मा से जब फोन पर जानकारी चाही कि मालवी-निमाड़ी भाषा में प्रसारण नहीं होने को लेकर आपने ग्रामीण क्षेत्र के श्रोताओं की भावना से प्रसार भारती को अवगत कराया क्या? उनका कहना था ये सारे नीतिगत निर्णय है मैं किसी मुद्दे पर बात नहीं करना चाहता।फोन पर तो बिल्कुल बात नहीं करुंगा। आप दिल्ली ही बात कीजिए।