प्रेस्टीज संस्थान द्वारा फंड रेजिंग हेतु डिजिटल मार्केटिंग की भूमिका पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इंदौर : प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, इंदौर द्वारा ‘द एनजीओ ग्रोथ स्टोरी: रोल ऑफ डिजिटल मार्केटिंग इन फंड रेजिंग’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में 60 गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों को डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से धन उगाहने की बारीकियों पर प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में इन संस्थाओं द्वारा सामाजिक कार्यों को करने हेतु फण्ड उगाही में आ रही अड़चनों पर चर्चा की गई। एनजीओ के लिए धन जुटाने हेतु डिजिटल मार्केटिंग टूल्स का किस तरह प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए, इस पर एक्सपर्ट्स ने अपने विचार साझा किए।
लंदन बिजनेस स्कूल और साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय, यूके के पूर्व छात्र प्रो. कौस्तव मजूमदार ने सही ऑडियंस तक पहुंचने में धारणा प्रबंधन और डिजिटल मार्केटिंग के उपयोग के महत्व को साझा किया। डिजिटल मार्केटिंग दिग्गज प्रो. राहुल रूंगटम ने डिजिटल मार्केटिंग और गूगल एनालिटिक्स का उपयोग करके सही ऑडियंस से जुड़ने और वांछित प्रभाव बनाने के लिए गैर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।
सोशल इंटरप्रेन्योर डॉ. नीरजा मट्टू ने आवश्यक धन प्राप्त करने के लिए सही विनिंग प्रोपोज़ल (जीत प्रस्ताव) बनाने की प्रमुख विशेषताओं के बारे में बात की।
सोयाबीन उद्योग को पुनर्जीवित करने की कहानी साझा की।
प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी के चांसलर और प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ डेविश जैन ने मध्य भारत में सोयाबीन उद्योग को पुनर्जीवित करने की कहानी साझा की।
कार्यशाला का मार्गदर्शन वरिष्ठ निदेशक, पीआईएमआर, इंदौर, डॉ. देबाशीष मलिक ने किया। डॉ. ज्योति व्यास बाजपेयी, एसोसिएट प्रोफेसर, पीआईएमआर द्वारा समन्वयित किया गया।
पीआईएमआर के सीनियर फैकल्टी प्रो. सलिल सेनगुप्ता ने कहा कि उपरोक्त विषय पर इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन संस्थान के सोशल विंग – संवेदना द्वारा किया गया, जो पीआईएमआर इंदौर में एमबीए के छात्रों के लिए एक पूर्ण पाठ्यक्रम है।