बढ़ता शहरीकरण पर्यावरण के लिए हानिकारक है

  
Last Updated:  December 17, 2023 " 12:14 am"

अनियंत्रित विकास है बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार।

अधिकाधिक पेड़ लगाने और पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का हो प्रयास।

औद्योगिक क्षेत्रों के लिए चिन्हित हो स्थान।

स्थानीय जल स्त्रोतों का हो संरक्षण।

हर घर में लगाएं जाएं पेड़।

अभ्यास मंडल द्वारा पर्यावरण को लेकर आयोजित बैठक में पर्यावरणविद और प्रबुद्धजनों ने रखे इस आशय के विचार ।

इन्दौर : जैसे-जैसे शहरों में,जमीन की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, हमारे जीवन की कीमत कम होती जा रही है ।शहर में जमीन की कीमत बढ़ने पर हम खुश तो बहुत होते हैं साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी जमीन की कीमत बढ़ाने में हम शहर वासी सहयोग कर रहे हैं ,यह पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा नुकसान है ।अगर हम अभी भी नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ी हमें कोसेगी,कि हमने उन्हें कैसा शहर और पर्यावरण प्रदत किया है ।

ये विचार शनिवार को अभ्यास मंडल द्वारा जाल सभागृह के बोर्ड रूम में पर्यावरण को लेकर आयोजित बैठक में शहर के प्रबुद्ध नागरिकों एवं पर्यावरणविदो ने व्यक्त किए।

कार्बन क्रेडिट से ज्यादा पेड़ लगाने पर ध्यान देने की जरूरत।

शिक्षाविद् तथा पर्यावरण के लिए कार्य कर रहे डॉ. एस एल गर्ग ने कहा कि वर्तमान में हमारे लिए कार्बन क्रेडिट उपयुक्त नहीं है, कार्बन क्रेडिट की ओर ध्यान देने की अपेक्षा पेड़ लगाना ज्यादा जरूरी है।

बड़े शहरों की जरूरत नहीं है।

विचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी ने कहा कि जमीन की कीमतें बढ़ना प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है, अगर अच्छा पर्यावरण चाहिए तो, बड़े शहरों का विरोध करना होगा। उन्होंने कहा कि शहर में तेजी से कारों की संख्या तो बढ़ती जा रही है, साइकिल कम होती जा रही है ।हमें पर्यावरण बचाने के लिए व्यापक प्रयास करना चाहिए,इसी के साथ सादगी पूर्ण जीवन जीने की कोशिश भी करनी चाहिए।

पेड़ों की कटाई पर लगे रोक।

पर्यावरण वैज्ञानिक दिलीप वाघेला ने कहा कि शहर तथा आसपास के क्षेत्रों में पिछले वर्षों में करोड़ों पेड़ पौधे लगाए गए हैं, किंतु कहीं भी दिखते नहीं है, अगर तेजी से शहर में पेड़ कटते रहेंगे तो पर्यावरण का क्या होगा यह विचारणीय प्रश्न है। पुराने पेड़ तेजी से कटते जा रहे हैं और नए पेड़ नहीं लगाए जा रहे हैं ,अतः पेड़ों की रक्षा के लिए भी कोई ठोस योजना बनाई जावे साथ ही,सिटी फॉरेस्ट बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

स्थानीय जल स्रोतों का सरंक्षण जरूरी।

जल संरक्षण के लिए काम कर रही मेधा बर्वे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मानव समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ता है ,हम नगरीय क्षेत्रों का पर्यावरण खराब कर चुके हैं ,अब ग्रामीण क्षेत्र के पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस प्रयास प्रारंभ करें।उन्होंने कहा कि बारिश के पानी को बचाने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। नगरीय विकास के नाम पर स्थानीय स्रोतों की बलि ना चढ़े ,हम स्थानीय स्रोतों के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं ,जिसके परिणाम बड़े भयावह होंगे।

अपने घरों में लगाए पेड़।

बैठक में इंजी. नूर मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यक्तिगत स्तर पर मैं स्वयं क्या कर सकता हूं तथा हम सामूहिक रूप से मिलकर क्या काम करें, जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके, उन्होंने कहा कि अपने घरों में पेड़ लगाने की मुहिम चलाई जाए।

पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने कहा कि कारखाने से निकलने वाला धुआं सभी को दिखता है किंतु कारखाने से जो रोजगार मिलता है उसके बारे में भी देखना एवं सोचना चाहिए, कोठारी ने कहा कि पर्यावरण की खराबी के लिए अनियंत्रित विकास जिम्मेदार है ,हमें मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाकर शहर के बाहर चारों दिशाओं में ,क्षेत्र वाइज संपूर्ण विकास की अवधारणा अपनाना चाहिए। विकास किसी भी तरह से रोका नहीं जा सकता किंतु अनियंत्रित विकास के स्थान पर शहर के बाहरी क्षेत्रों में विकास किया जाना चाहिए। पोलो ग्राउंड, सांवेर रोड जैसे औद्योगिक क्षेत्र को आवासीय क्षेत्र घोषित कर उद्योगों को शहर के बाहर जगह दी जाना चाहिए।

बैठक में अमिता वर्मा,ग्रीष्मा त्रिवेदी, सुनील व्यास ,श्यामसुंदर यादव, श्याम पांडे, हबीब मिर्जा, मुकेश तिवारी, हरेराम वाजपेई, वैशाली खरे, पराग जटाले ,उज्जवल स्वामी, आदि ने भी अपने सुझाव दिए।

कार्यक्रम में शिवाजी मोहिते, सुशीला यादव, पीसी शर्मा, नेताजी मोहिते, मुरली खंडेलवाल, मुनीर खान ,शफी शेख, द्वारका मालवीय ,किशन सोमानी ,अनिल मोडक, अनिल भोजे आदि भी उपस्थित थे ।

कार्यक्रम का संचालन स्वप्निल व्यास ने किया अंत में आभार डॉ. माला सिंह ठाकुर ने माना।

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