इंदौर : भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक,पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे के भतीजे ने रविवार को इंदौर में दम तोड़ दिया।58 साल के शिरीष ठाकरे कोरोना संक्रमित थे।वह तीन दिन से इंदौर के सरकारी अस्पताल एम टी एच में भर्ती थे।परिवार वालों का कहना है कि अस्पताल में शिरीष का सही इलाज नही किया गया।जिसके चलते उनकी जान गई।शिरीष का 28 साल का बेटा उसी अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहा है।
कुशाभाऊ ठाकरे भाजपा के संस्थापक सदस्य तो थे ही साथ ही भाजपा और संघ की नर्सरी कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में भाजपा को खड़ा करने का श्रेय भी उन्ही को दिया जाता है।प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज भी ठाकरे जी की शान में कसीदे पढ़ते हैं।लेकिन उन्ही की सरकार में ठाकरे जी के परिजनों को सही चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई।
इसके पहले 13 अप्रैल को ठाकरे के बड़े भाई रसिकलाल ठाकरे के बेटे शैलेश की मौत भी कोरोना से ही हुई थी वह भी इंदौर में रहते थे।
आपको बता दें कि कुशाभाऊ ठाकरे का जन्म मध्यप्रदेश के धार में हुआ था।ठाकरे के 6 भाई और एक बहन थी।कुशाभाऊ ठाकरे ने संघ को जीवनदान किया था।वह अविवाहित थे।उनके एक अन्य भाई जयंत ठाकरे भी अविवाहित थे।वह ठाकरे जी के साथ भोपाल में ही रहते थे।जबकि अन्य भाई बहनों के परिवार हैं।मध्यप्रदेश में कुशाभाऊ ठाकरे को भाजपा का जनक कहा जाता है।वह आजीवन निर्विवाद रहे।उनके पास बैठकर राजनीति का ककहरा सीखने वाले नेता आज प्रदेश पर राज कर रहे हैं।
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक वन विभाग में अधिकारी शिरीष ठाकरे रेमडेसीवीर इंजेक्शन लगवाने के लिये एमटीएच में तीन दिन पहले भर्ती हुए थे।अस्पताल में बेड मिला।ऑक्सीजन भी लगाई गई।लेकिन रेमडेसीवीर इंजेक्शन नही मिला।उनके परिजन लगातार अस्पताल के डॉक्टरों से गुहार करते रहे लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।परिजनों ने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि उनका सी टी स्कैन कराना है।इसके लिए उन्हें कुछ समय के लिए जांच केंद्र तक ले जाने दिया जाए।लेकिन डॉक्टरों ने यह कह कर मना कर दिया अगर एक बार बाहर ले गए तो वापसी में फिर बेड मिलेगा इसकी कोई गारंटी नही है।उनसे यहां तक कहा गया कि पहले ये टेस्ट क्यों नही कराया।
तीन दिन तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया।
पारिवारिक सूत्रों के मुताविक शिरीष बार बार उन्हें फोन करके बता रहे थे कि तीन दिन में उन्हें देखने कोई डाक्टर नही आया।ऑक्सीजन लगा दी गयी है।नर्स आकर देख रही है। रेमडेसीवीर इंजेक्शन के लिये कहा गया कि ले आओ तो लगा देंगे।
परेशान परिवार वालों ने इंदौर के सभी बड़े भाजपा नेताओं से संपर्क किया।इनमें वे नेता भी शामिल थे जो सिर्फ कुशाभाऊ ठाकरे की बजह से ही पार्षद से राजनीति शुरू करके राजनीति के शिखर तक पहुंचे।सभी ने आश्वासन तो दिए लेकिन शिरीष की जान बचाने के लिए कोई आगे नही आया।न ही किसी ने इंजेक्शन के लिये मदद की।
इसी के चलते रविवार को शिरीष की मौत हो गयी।मौत के बाद जब अस्पताल प्रबंधन को पता चला तो शिरीष के 28 साल के बेटे शांतनु को इंजेक्शन दिया गया।अब ये नेता परिवार को आश्वासन दे रहे हैं कि शांतनु का सही इलाज होगा।
यह भी पता चला है कि 5 दिन पहले ही कुशाभाऊ ठाकरे के एक अन्य भतीजे शैलेश की भी कोरोना के चलते मौत हो गयी थी।वह कुशाभाऊ के बड़े भाई रसिकलाल के बेटे थे।उनके इलाज में भी लापरवाही का आरोप है।
परिवार के वरिष्ठ सदस्य को खो चुके परिजनों का कहना है कि हमें मलाल इस बात का है कि कुशाभाऊ ठाकरे ने जिस पार्टी को अपना जीवन दिया उसकी सरकार के रहते उनके ही भतीजे को सही इलाज नही मिल पाया।वह भी तब जब खुद को उनका शिष्य बताने वाला व्यक्ति सूबे के मुख्यमंत्री हो।
परिजन अब शांतनु को लेकर चिंतित हैं।उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने बात उठायी तो शांतनु का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है।
इस सम्बंध में इंदौर और भोपाल में भाजपा नेताओं से बात करने की कोशिश की गई लेकिन कोई उपलब्ध नही हुआ।जहाँ तक अस्पताल का सवाल है वहाँ तो यह सामान्य कोविड मौत मानी गयी है।
उधर परिवार वाले इस बात का पश्चाताप कर रहे हैं कि अगर रेमडेसीवीर इंजेक्शन के चक्कर में शिरीष को सरकारी अस्पताल में भर्ती नही कराते तो शायद आज वह जिंदा होते।