सांसद लालवानी ने पेश किया बीजेपी सरकार का बीते 20 वर्षों का रिपोर्ट कार्ड।
भाजपा सरकार के चहुंमखी विकास का आइना है 20 साल के
गरीब कल्याण का रिपोर्ट कार्ड।
बंटाढार और करप्शनाथ बताएं, कांग्रेस ने क्यों लूटा प्रदेश का काफिला।
इंदौर : हाल ही में भोपाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में बीजेपी सरकार के 20 वर्षों के गरीब कल्याण और विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड लॉन्च किया था। सांसद शंकर लालवानी ने उसी रिपोर्ट कार्ड को इंदौर में मीडिया के समक्ष पेश किया। उन्होंने बीजेपी सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के साथ कांग्रेस से उनके 53 वर्ष के शासन काल का भी हिसाब मांगा। लालवानी ने कहा कि 1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद से 2003 तक ज्यादातर समय कांग्रेस की ही सरकारें रही हैं। इन सरकारों ने प्रदेश को बीमारू राज्य बना दिया। 2003 में प्रदेश में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। बाद में बाबूलाल गौर और शिवराजसिंह चौहान ने उस सरकार का नेतृत्व किया। भाजपा की सरकार ने प्रदेश को 20 सालों में बीमारू से बेमिसाल राज्य बनाया, बंटाढार से बुलंदियों पर पहुंचाया, पिछड़े से अग्रणी बनाया, समृद्ध और खुशहाल राज्य बनाया। मि. बंटाढार और कमलनाथ इस बात का जवाब दें कि 53 सालों में उनकी सरकारों ने प्रदेश के लिए क्या किया? क्यों प्रदेश की जनता के साथ अन्याय किया? क्यों मध्यप्रदेश का काफिला लूटा? इसका जवाब कांग्रेस को देना होगा। कांग्रेस इससे मुकर नहीं सकती है। भाजपा ने 20 साल में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने का काम किया तो उसका रिपोर्ट कार्ड भी जारी किया है। भाजपा जो कहती है वह करके भी दिखाती है। हमारी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। जबकि कांग्रेस ने देश और प्रदेश को सिर्फ छलने का काम किया है।
नाइट कल्चर नहीं नाइट वर्किंग की बात कही थी।
नाइट कल्चर को लेकर किए गए सवाल पर सांसद लालवानी का कहना था कि इंदौर आईटी कंपनियों का हब बनता जा रहा है, जहां नाइट में भी काम होता है। नाइट वर्किंग को देखते हुए उनकी सुविधा के लिए खानपान की दुकानें खुली रखने का फैसला लिया गया था, इसकी आड़ में कोई नशाखोरी कर हुड़दंग मचाता है तो पुलिस को उसपर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कार्रवाई की भी जा रही है।
तय लिमिट से ज्यादा कर्ज नहीं।
सांसद लालवानी ने प्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर कहा कि कर्ज की मात्रा उतनी ही है जितनी मात्रा में लिया जा सकता है। तय लिमिट से ज्यादा कर्ज नहीं लिया गया है।