गीता भवन में चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव में जगदगुरू वल्लभाचार्य के आशीर्वचन।
इंद : अर्जुन भले ही कुरूक्षेत्र के मैदान में निमित्त रहा हो, गीता के संदेश मनुष्य मात्र के लिए कल्याणकारी हैं।भगवान के प्रति अनन्य भक्ति और शरणागति का भाव होना चाहिए। भगवान को अभूषणों या रत्न मंडित वस्त्रों से नहीं, बल्कि दीनता के भाव से ही प्रसन्नता मिलेगी। ज्ञान में अहंकार नहीं होना चाहिए। भक्ति से अलंकृत ज्ञान ही शोभायमान होता है। गीता को हम सब कर्मयोग का ही ग्रंथ और पर्याय मानते हैं, लेकिन वास्तव में भगवान ने गीता के माध्यम से हम सबके लिए ज्ञान और भक्ति के मार्ग का विस्तार किया है। भगवान ने बिना किसी दुराव-छुपाव के गीता में सारी बातें कहीं है।
सूरत से पधारे जगदगुरू वल्लभाचार्य, गोस्वामी वल्लभ राय महाराज ने शुक्रवार को गीता भवन में चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की धर्मसभा में अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज की अध्यक्षता में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए।
प्रारंभ में वैदिक मंगलाचरण के बीच गीता भवन ट्रस्ट की ओर से अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, न्यासी मंडल के प्रेमचंद गोयल, महेशचंद्र शास्त्री, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग, पवन सिंघानिया, हरीश माहेश्वरी, संजीव कोहली एवं विष्णु बिंदल आदि ने जगदगुरू वल्लभराय महाराज एवं अन्य सभी प्रमुख संतों का स्वागत किया। सत्संग समिति की ओर से रामकिशोर राठी, अरविंद नागपाल, जे.पी. फड़िया, सुभाष झंवर, प्रदीप अग्रवाल, चंदू गुप्ता आदि ने भी संतों की अगवानी की।
अ.भा. गीता जयंती महोत्सव के छठे दिन दोपहर में स्वामी देवकीनंदन दास, वृंदावन से आए स्वामी केशवाचार्य महाराज, उज्जैन से आए परमानंद महाराज,भीकनगांव से आए पं. पीयूष महाराज, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन से आए शंकर चैतन्य महाराज, हरिद्वार से आए स्वामी सर्वेश चैतन्य महाराज के प्रवचनों के बाद जगदगुरू वल्लभाचार्य गोस्वामी वल्लभ राय महाराज सूरत का आगमन हुआ। हजारों भक्तों ने जयघोष के बीच उनकी अगवानी की। इसके बाद युग तुलसी स्वामी रामकिंकर महाराज की शिष्या दीदी मां मंदाकिनी देवी के प्रवचन हुए। जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के अध्यक्षीय आशीर्वचन के साथ सत्संग सत्र का समापन हुआ।
समापन अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद आएंगे।
अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का समापन शनिवार 14 दिसम्बर को होगा। दोपहर 1 बजे से समापन समारोह प्रारंभ होगा। दोपहर 1 बजे से स्वामी देवकीनंदनदास (डाकोर), 1.15 बजे स्वामी वृंदावन दास (वृंदावन), 1.45 बजे से साध्वी ब्रह्मज्योति सरस्वती (पानीपत), 2.15 बजे से संत रामकृष्णाचार्य महाराजा (उज्जैन), 2.45 से स्वामी सर्वेश चैतन्य महाराज (हरिद्वार), 3 .15 बजे से रामनारायण महाराज (गंगोत्री), 3.45 बजे से महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद (वृंदावन), 4.45 बजे से संत मुमुक्षुराम रामस्नेही (पाली) के बाद समापन समारोह में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मंत्री सभी संतों एवं विद्वानों का सम्मान करेंगे। सांय 5.30 बजे जगदगुरू स्वमी रामदयाल महाराज द्वारा अध्यक्षीय आशीर्वचन के साथ महोत्सव का समापन होगा।
सुबह 9 से 10 बजे तक डाकोर से आए स्वामी देवकीनंद दास के नियमित प्रवचन जारी रहेंगे। इसके साथ ही आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के सान्निध्य में चल रहे सात दिवसीय विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति भी होगी। महोत्सव समापन के अगले दिन 16 दिसंबर से वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के श्रीमुख से गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ का दिव्य आयोजन भी होगा।