इंदौर : पितृ पर्वत पर श्री पितरेश्वर हनुमान धाम में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारम्भ सोमवार को भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। गाजे- बाजे के साथ निकली कलश यात्रा में हजारों महिलाओं ने शिरकत की। बड़ी संख्या में साधु- संत भी इस यात्रा में शामिल हुए।एयरपोर्ट रोड स्थित विद्याधाम से शुरू हुई ये कलश यात्रा 7 किमी का सफर तय कर पितृ पर्वत पहुंची। मार्ग में जगह- जगह लगाए गए मंचों से कलश यात्रा का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।यात्रा में शामिल महिलाओं के लिए पेयजल और स्वल्पाहार का इंतजाम भी किया गया था। वहीं पितृ पर्वत पर सभी महिलाओं को प्रसाद स्वरूप भोजन भी कराया गया।
28 फरवरी तक चलेगा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव।
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के संयोजक कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि ये हनुमानजी की ही कृपा है कि उनकी इतने भव्य स्वरूप की प्रतिमा पितृ पर्वत पर स्थापित की गई है।कलश यात्रा के साथ हनुमानजी की पूजनीय मूर्ति भी लाई गई है। उसका वैदिक रीति से मंत्रोच्चार के बीच प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारम्भ हो गया है जो 28 फरवरी तक चलेगा। उसके बाद 3 मार्च को नगर भोज का आयोजन होगा।
रामकथा, शिवपुराण और अतिरुद्र महायज्ञ का भी हुआ शुभारंभ।
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत सोमवार से महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में अतिरुद्र महायज्ञ का भी शुभारम्भ हुआ। यज्ञ नौ दिन चलेगा। इसी के साथ उत्तम स्वामीजी की रामकथा और मां कनकेश्वरी देवी की शिवपुराण कथा भी सोमवार से प्रारंभ हो गई।
कैलाशजी का सपना पूरा हुआ।
इंदौर के महापौर रहते 15 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय ने पितृपर्वत को विकसित करने और विश्व की सबसे ऊंची व भव्य हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करने का सपना देखा था। जो अब जाकर पूरा हुआ है।शहर के बाशिंदों को यहां अपने पूर्वजों की याद में पौधे रोपने के लिए उन्होंने प्रेरित किया था। उससमय लगाए गए पौधे अब पेड़ों का रूप ले चुके हैं। अष्टधातु से निर्मित करीब 72 फ़ीट ऊंची बैठे स्वरूप में हनुमानजी की आकर्षक प्रतिमा भी यहां स्थापित कर दी गई है। यहां स्थित एक शिवालय का भी जीर्णोद्धार किया गया है। किसी समय देवधरम टेकरी के रूप में पहचान रखने वाली यह पहाड़ी अब पितरेश्वर हनुमान धाम में तब्दील हो गई है। इंदौर के लिए तो ये एक बड़ी सौगात है ही, बाहर से आनेवाले लोगों के लिए भी यह स्थान तीर्थ और पर्यटन स्थल के रूप में आकर्षण का केंद्र बन गया है।