भारतीय ज्ञान परंपरा से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए कारगर प्रयासों की जरूरत : मुकेश तिवारी

  
Last Updated:  March 30, 2025 " 01:16 am"

इंदौर : नई पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा, सभ्यता और संस्कृति से जोड़े रखने के लिए शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को अधिक सक्रिय भूमिका अदा करनी होगी। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के बीच आज भी हमारे देश में गुरुकुल और पाठशालाएं संचालित हो रही हैं जिनमें नई पीढ़ी के बच्चे भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत मूल्यों पर आधारित शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं यह खुशी का विषय है।

यह बात विचार प्रवाह साहित्य मंच, इंदौर के अध्यक्ष मुकेश तिवारी ने कही। वे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तकनीकि सत्र को बतौर अतिथि वक्ता संबोधित कर रहे थे।
दो दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
मॉडर्न कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज गाजियाबाद के आईक्यूएसी प्रकोष्ठ, अमृत मंथन वेलफेयर सोसायटी गाजियाबाद एवं माधवी फाउंडेशन, लखनऊ ने मिलकर किया था। “वैदिक और उत्तर-वैदिक चिंतन में निहित शैक्षिक मूल्य -चेतना ” विषय पर वर्चुअल माध्यम से हुए इस सम्मेलन में देश-विदेश से अनेक विद्वानों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद डॉ. मिथिलेश दीक्षित (लखनऊ) ने वैदिक काल से लेकर आधुनिक शिक्षा प्रणाली तक पर प्रकाश डालते हुए शिक्षा को ज्ञान का पवित्र माध्यम बताया और शिक्षा में मूल्य चेतना पर बल दिया। उन्होंने भारतीय चिंतनधारा में अभिव्यक्त ज्ञान के विविध आयामों का उल्लेख करते हुए अध्यात्म, विज्ञान, ज्योतिष, साहित्य, कला सभी को परस्पर पूरक बताया साथ ही भारतीय सांस्कृतिक परम्परा को आत्मसात करने व शिक्षा और आचरण में उतारने का आग्रह किया। मुख्य वक्ता डॉ. प्रशांत अर्वे (दिल्ली) ने कहा कि, वैदिक और उत्तर-वैदिक शिक्षा प्रणाली केवल ज्ञान का संकलन नहीं थी बल्कि यह मनुष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण पर केंद्रित थी।
विशिष्ट अतिथि रस आचार्य डॉ. ई मादे (इंडोनेशिया) ने कहा, भारत का वैदिक ज्ञान न केवल भारतीय समाज के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शक है। इसकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। मुख्य अतिथि इंदरजीत शर्मा (अमेरिका) ने कहा, हमें अपनी वैदिक और उत्तर-वैदिक शिक्षा पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्राचार्य डाॅ. निशा सिंह ने दिया। आभार डाॅ. निशी त्यागी ने माना।
सम्मेलन में विभिन्न तकनीकि सत्र संपन्न हुए, जिनमें विभिन्न उप विषयों पर पर शोध प्रस्तुत किए गए। इन सत्रों में भारत, नेपाल, इंडोनेशिया, अमेरिका और दुबई सहित विभिन्न देशों से आए विद्वानों और शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। इनमें शिक्षा के मूल्यों, नैतिकता, तकनीकि विकास और आधुनिक संदर्भ में वैदिक ज्ञान के अनुप्रयोगों पर चर्चा की गई। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कुल 70 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
प्रथम तकनीकि सत्र के अतिथि अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच के अध्यक्ष प्रो. डॉ. महेश दिवाकर द्वितीय तकनीकि सत्र के अतिथि विचार प्रवाह साहित्य मंच, इंदौर के अध्यक्ष मुकेश तिवारी और काव्या संस्था, लखनऊ की अध्यक्ष निवेदिताश्री थीं। तृतीय सत्र की अतिथि हिमालिनी (नेपाल ) की सम्पादक डॉ. श्वेता दीप्ति तथा वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा (उत्तराखंड ), चतुर्थ सत्र के अतिथि नालंदा विश्व विद्यालय से सम्बद्ध प्रो. डॉ. ध्रुब कुमार और पर्यावरण चिंतक, सम्पादक कुलदीप सिंह सेंगर, पंचम सत्र के अतिथि समीक्षक सम्पादक डॉ. शैलेष गुप्त वीर और प्रोफ़ेसर डॉ. अंकुर गुप्ता थे। सम्मेलन का संयोजन डाॅ. निशी त्यागी और डाॅ. हरीतिमा दीक्षित ने किया।

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