विश्व के पहले हिंदी सिनेमा विश्वकोष का लोकार्पण

  
Last Updated:  April 5, 2024 " 06:43 pm"

फिल्मों को चिंतन का हिस्सा बनाएं : जोशी।

इंदौर : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव सच्चिदानंद जोशी ने कहा है कि हमें फिल्मों को चिंतन का हिस्सा बनाना चाहिए । फिल्म जनसंचार का सबसे बड़ा माध्यम है । फिल्म एक मनोरंजन है तो कला भी है ।

श्री जोशी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्रआई द्वारा संयुक्त आईरूप से स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, डीएवीवी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

यूकार्यक्रम में सबसे पहले वरिष्ठ पत्रकार श्रीराम ताम्रकर पर केंद्रित हिंदी सिनेमा विश्वकोश का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। उसके बाद में सिनेमा पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा का सूत्र संचालन अनुराग पुनेठा ने किया। फिल्मी गीतकार स्वानन्द किरकिरे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव सच्चिदानंद जोशी, भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व निदेशक संजय दिवेदी, फ़िल्म समीक्षक मयंक शेखर, मोटिवेशनल स्पीकर मंजूषा राजस जौहरी और पत्रकारिता तथा जनसंचार विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. सोनाली नरगुंदे ने इस पैनल चर्चा में वक्ता के बतौर शिरकत की।

फिल्मों को चिंतन का हिस्सा बनाएं।

सच्चिदानंद जोशी कहा कि फिल्मों को कला और चिंतन का हिस्सा बनाना चाहिए । हमारा समाज सिनेमा प्रेमी है । हमें सिनेमा की समझ वाले समाज की आवश्यकता है । सिनेमा का जादू उसके समूह से होता है किसी अकेले से नहीं। कला, संस्कृति, रंगमंच, शिक्षा समाज की धरोहर है । हम सब इन्हीं से जुड़ते हैं, सुनते हैं, समझते हैं, सीखते हैं और अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा पीढ़ी दर पीढ़ी बदलता है। जो जिस दौर से जुड़ पाता है वह उसका अपना सिनेमा बन जाता है।

बिना समूह के कहानी दिखाना संभव नहीं।

चर्चा में डॉ. सोनाली नरगुंदे ने कहा कि संस्थान में साप्ताहिक रूप से आयोजित फिल्म शो में छात्रों के अनुसार क्लासिक्स दिखाए जाते हैं। हउन्होंने कहा कि बिना समूह के कहानी को दिखाना संभव नहीं है।

मंजूषा जोहरी ने कहा कि उनके समय में पत्रकारिता और सिनेमा के लिए संस्थान और पढ़ाई की इतनी अच्छी सुविधा नहीं थी, जितनी इन विद्यार्थियों को आज केमिल रही हैं । उन्होंने अपने पिताजी के बुंदेलखंडी कॉलम “कम्मो की शादी कैसी होगी” को याद करके अपने साहित्य से जुड़ाव की शुरूआत बताई । उन्होंने अपने समय में स्वर्गीय श्रीराम ताम्रकर के विवेचन, अध्ययन और पुस्तकों को पढ़ा है। उनके लेखन में तकनीक,संगीत, अभिनेता और लेखक से जुड़ा हर विवरण सहेजा है। आज यह समाज तक पहुंच रहा है। यह एक बहुत बड़ा काम है ।

मयंक शेखर ने बताया कि सिनेमा को हम संस्कृति से जोड़ते हैं। इसलिए इसे मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर में रखा गया है ना कि मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्ट में। आज हमारी सबसे बड़ी समस्या है कि हमारे पास पुरानी फिल्मों का संग्रह नहीं है l जिस फिल्म पर हम फिल्म दिवस मनाते है वो राजा हरीश चंद्र की फिल्म भी हमारे पास संग्रहित नहीं है l

संजय दिवेदी ने कहा कि सिनेमा में कलाओं का संग्रह है । यह सामूहिकता को साधने का एक माध्यम है। ये समुह के माध्यम से समुह के लिए किया गया एक काम है। सिनेमा पर जब भी बात होती है तो कहा जाता है कि पहले के समय पर फिल्में अच्छी होती थी आजकल अच्छी नहीं होती है लेकिन मुझे तो आज भी आज के जमाने की फिल्में ही पसंद आती है।

सिनेमा ने ही मुझे सिनेमा के लिए प्रेरित किया – किरकिरे।

हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार स्वानंद किरकिरे ने इस कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं से सीधी चर्चा की। सभी की जिज्ञासा यह जानने में थी कि फिल्म के क्षेत्र में जाने की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सिनेमा ने मुझे सिनेमा के लिए प्रेरित किया । सिनेमा आधुनिक लोक कला है । उसकी विकृति ही उसके विकास का कारण है । चाहे वो आज का सिनेमा हो या पुराना, सभी ने सिनेमा को एक नया आयाम दिया है । उन्होंने कहा कि सिनेमा ने मुझे शुरू से आकर्षित किया । इस आकर्षण में ही में एक के बाद एक चीजें समझने लगा। इस समझ के दौरान मुझे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बारे में जानकारी मिली । फिर वहां पर प्रवेश लेने के लिए जब पहली बार फॉर्म भरा तो वहां पर चयन नहीं हुआ । फिर दूसरी बार किस तरह से चयन हुआ उसकी कहानी भी उन्होंने सुनाई ।

नई पीढ़ी को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि अब तो युवाओं द्वारा बहुतअच्छी शॉर्ट फिल्में बनाई जा रही हैं। कहीं भी फिल्म फेस्टिवल में जाओ तो वहां पर इंदौर के युवा अपनी शॉर्ट फिल्म के साथ मिलते हैं। विद्यार्थियों के आग्रह पर उन्होंने अपने लिखे गीतों की कि कुछ पंक्तियां भी गुनगुनाई।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत डॉ नीलमेंघ चतुर्वेदी, डाॅ लखन रघुवंशी, डॉ मनीष काले ,डॉ जितेंद्र जाखेटिया , प्रबल शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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