इंदौर : अभियंता स्व. कृष्णाजी विनायक वझे भारत की प्राचीन ज्ञान विज्ञान की परंपरा के आधार पर कई आधुनिक अभियांत्रिकी ग्रंथों की रचना की।उनके कार्य को समाज के सामने लाने के उद्देश्य से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के आरएनटी मार्ग स्थित सभागार में बुधवार को प्राचीन भारत के अभियांत्रिकी ज्ञान और आधुनिक तकनीक का समन्वय पर डॉ. बालमुकुंद पांडे का व्याख्यान आयोजित किया गया।अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना मालवा प्रांत, देवी अहिल्या विवि,विज्ञान भारती और प्रज्ञा प्रवाह ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएवीवी की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने की।
भारत के पुरातन ज्ञान वैभव को नूतन परिवेश देने की जरूरत।
संदर्भित विषय पर बोलते हुए प्रमुख वक्ता डॉ. पांडे ने कहा कि तकनीकि ज्ञान में भारत के योगदान का महत्व और उसका राष्ट्रीय ज्ञान परंपरा से संबंधित होना ही भारत को पुन: विश्र्वगुरू के पद पर पहुंचाएगा l डॉ बालमुकुंद ने भारत के पुरातन ज्ञान वैभव और सांस्कृतिक वैभव को नित नूतन बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीयता की निरंतरता आवश्यक है l राष्ट्रीयता, ज्ञान की नवोंमेशित, स्वकल्पित और स्वनिर्मित परंपरा से बन सकती है।इस क्षेत्र में शोधकर्ताओ की महती भूमिका है l
स्व. कृष्णा वझे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हूए नासिक के डॉ ओमप्रकाश कुलकर्णी ने उनके शोध और उनके लिखे ग्रंथों का उल्लेख किया। कुलपति डॉ. रेणु जैन ने नई शिक्षा नीति में प्राचीन भारतीय ज्ञान के समावेश की अहमियत पर प्रकाश डाला l कार्यक्रम का संचालन डॉ मिलिंद दांडेकर ने किया। डॉ. राजीव दीक्षित ने आभार प्रदर्शन किया।