इंदौर : भारतीय संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है। विवाह भारतीय समाज में कोई अनुबन्ध या सौदा नहीं बल्कि सात जन्मों तक निभाया जाने वाला संस्कार है। कृष्ण- रुक्मिणी विवाह महिलाओं के प्रति सम्मान और मंगल का सूचक है। ये बात झांसी के नीलकंठ पीठाधीश्वर स्वामी रामदास ब्रह्मचारी ने कही। वे बर्फानी धाम के पीछे गणेश नगर स्थित केशरबाई धर्मशाला परिसर में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञानयज्ञ में कृष्ण- रुक्मिणी विवाह प्रसंग की व्याख्या करते हुए बोल रहे थे।
इस मौके पर कृष्ण- रुक्मिणी विवाह उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया।
प्रारम्भ में आयोजन समिति तुलसी रघुवंशी, पवन सिंघल, शैलेन्द्र रघुवंशी, संतोष, रणवीर, मदनसिंह रघुवंशी, अशोक हार्डिया, हरगोपाल पांडे आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा का श्रवण करने के लिए बड़ी तादाद में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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