मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करना हो तो वेदों की ओर लौटें – मंत्री ऊषा ठाकुर

  
Last Updated:  April 7, 2023 " 08:31 pm"

छठवें प्रेस्टीज अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव का हुआ आगाज़।

फेस्टिवल के पहले दिन यशपाल शर्मा निर्देशित `दादा लखमी’ फिल्म का प्रदर्शन।

इंदौर : कोरोना के बाद सम्पूर्ण विश्व ने इस बात को स्वीकार किया है कि यदि सच में हम सुख, शांति, समृद्धि के साथ जीना चाहते हैं, मानव जीवन को सार्थकता देना चाहते हैं और व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास चाहते हैं तो हमें वेदों की ओर लौटना होगा। यह बात प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कही। वे प्रेस्टीज प्रबंध संस्थान के यूजी परिसर में आयोजित छठवें प्रेस्टीज अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि विश्व में जितनी भी समस्याएँ नजर आ रहीं हैं, उनका निदान वैदिक परम्पराओं से ही संभव है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति सत्य, सनातन वैदिक परम्पराओं पर आधारित है।
पर्यटन, संस्कृति एवं धर्म को जीवन का अभिन्न हिस्सा बताते हुए मंत्री ने कहा कि तीनों विधाएँ हमारे व्यक्तित्व का विकास करती हैं।

हरियाणवी फिल्म ‘दादा लखमी’ देखें और सीखें।

उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए सुप्रसिद्ध फिल्म कलाकार, थ्री इडियट्स, गंगाजल जैसी फिल्मों में अपनी अद्भुत अभिनय क्षमता का लोहा मनवाने वाले यशपाल शर्मा ने अपने निर्देशन में बनी पहली फिल्म दादा लखमी' जिसे देश-विदेश में पुरस्कृत किया जा चुका है, के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मेरे निर्देशन में बनी हरियाणवी लोक गायक ‘दादा लखमीचंद’ पर फ़िल्म ‘दादा लखमी’ मूवी छह साल में बनकर तैयार हुई है। पहले हरियाणवी सिनेमा में कोई आता नहीं था। 20-25 हजार लोग ऐसे हैं जो जिंदगी में पहली बार सिनेमघर गए। इसमें एक्टर और सिंगर सारे हरियाणा के हैं। इस फिल्म को लोगों से देखने का आग्रह करते हुए शर्मा ने कहा किसोने-चांदी का हार दे दो मुझे उससे खुशी नहीं मिलेगी लेकिन ढाई घंटे फिल्म देख लो तो मेरी छह साल की तपस्या पूरी हो जाएगी। मास कम्युनिकेशन के विद्यार्थी, फिल्म उद्योग से जुड़े लोग हैं, अगर फिल्म देखना चाहते हैं तो उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। उन्हें डायलॉग, सेट्स, कहानी, म्यूजिक हर चीज यूनिक रूप में देखने व सीखने को मिलेगी।

मसाला फिल्म नहीं है दादा लखमी।

यशपाल शर्मा ने कहा कि फिल्म में रोमांस या रोमांटिक सांग्स नहीं हैं, हीरोइन नहीं है, डबल मिनिंग के डायलॉग नहीं हैं, आइटम सॉग्स नहीं हैं, फाइटिंग, एक्शन या कोई इंटीमेट सीन नहीं है। ऐसा कुछ नहीं है जो यंग जनरेशन को पसंद आता हो लेकिन फिर भी ऐसा कुछ है कि पांच साल के बच्चे से लेकर 90 साल के बुजुर्ग तक को फिल्म पसंद आ रही है।

पहले दिन दिखाई गई यह फिल्म।

उद्घाटन सत्र के बाद फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन ‘दादा लखमी’ की स्क्रीनिंग की गई। छात्रों और आमंत्रित दर्शकों ने इस फिल्म को मुक्त कंठ से सराहा।

क्षेत्रीय फिल्मों को बढ़ावा देना उद्देश्य।

प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के डायरेक्टर हिमांशु जैन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस वर्ष के फिल्म महोत्सव का मुख्य उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय फिल्मों को प्रोत्साहित करना है।
उन्होंने कहा कि फेस्टिवल के दौरान देश के विभिन्न राज्यों की उत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। जूरी द्वारा चुनी जाने वाली श्रेणियों को सम्मानित किया जाएगा। जैन ने कहा कि फिल्म, जीवन को पुनरुत्पादित करने और समय को प्रतिबिंबित करने के लिए एक महत्वपूर्ण वाहक है। हाल के वर्षों में, भारतीय फिल्म उद्योग फला-फूला है। कई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल्स में उत्कृष्ट भारतीय फिल्मों को प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया है। इन फिल्मों ने वैश्विक स्तर पर अपना लोहा मनवाया है।

प्रारंभ में प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के डिपार्टमेंट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन द्वारा आयोजित छटवें प्रेस्टीज अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव का शुभारम्भ गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में किया गया।इस दौरान दीपिन जैन (वाइस चेयरमैन – प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन), हिमांशु जैन (डायरेक्टर, प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन), प्रेस्टीज प्रबंध संस्थान के सीनियर डायरेक्टर, डॉ. देबाशीष मलिक, प्रतिभा शर्मा (फ़िल्म निर्देशक एवं लेखक), सुमित्रा पेडनेकर (अभिनेत्री) और डॉ. अनिल बाजपेयी (सी.ई.ओ ऑफ़ प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी ) विशेष रूप से उपस्थित थे।

उद्घाटन समारोह के दूसरे सत्र में संस्थान की फैकल्टी डॉ. निधि शर्मा के साथ इन कन्वर्सेशन कार्यक्रम में मशहूर फिल्म कलाकार यशपाल शर्मा ने अपने जीवन के विभिन्न पहलूओं तथा अपनी फिल्मी यात्रा पर प्रकाश डाला।

फेस्टिवल के पहले दिन शाम को ‘महफ़िल-ए-शाम’ का आयोजन किया गया, जिसमें मशहूर फनकार अज़हर इक़बाल, तारिक फ़ैज तथा आफ़ताब क़ादरी ने अपनी शायरियों एवं सूफी गानों से समां बांधा ।

फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन 8 अप्रैल को ओपन एयर थिएटर का आयोजन होगा जिसमें एक बड़ी बॉलीवुड मूवी दिखाई जाएगी।

9 अप्रैल को होगा बॉलीवुड सिंगर निखिल डिसूजा का कॉन्सर्ट।

अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के अंतिम दिन 9 अप्रैल को बॉलीवुड सिंगर निखिल डिसूजा का कॉन्सर्ट होगा। साथ ही इंटरनेशनल डीजे कार्निवोर भी परफॉर्म करेंगे। इसके अलावा फेस्टिवल के दौरान 48 घंटे की शार्ट फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता के तहत प्राप्त हुई 10 मिनट की शार्ट फिल्मों का प्रदर्शन होगा। उत्कृष्ट फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।

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