भारत में विकसित किया जा सकता है बीस बीमारियों की रोकथाम के लिए एक टीका- डॉ. वशिष्ठ

  
Last Updated:  June 22, 2021 " 07:51 pm"

इंदौर : देश में कोविड-19 के टीकाकरण मामलों के विशेषज्ञ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सेफ्टी नेट ग्रुप के सदस्य रह चुके डाॅ. विपिन वशिष्ठ कहना है कि आने वाले समय में भारत में कोरेाना या अन्य महामारी की रोकथाम के लिए ‘टवेंटी इन वन वायल’ अर्थात बीस बीमारियों को एक ही इंजेक्शन से रोकने वाले टीके का निर्माण संभव है। यह वैश्विक (यूनिवर्सल) टीका भी बन सकता है। वर्तमान में दुनिया में कोरोना के खिलाफ 9 तरह के टीके उपलब्ध है। सबका उपयोग एवं असर अलग-अलग है लेकिन भारतीय टीका कई मानकों में बेहतर है, इसलिए भारतीय टीके को अवश्य लगवा लें। विदेशी टीके का इंतजार न करें।
डाॅ. वशिष्ठ ने यह बात एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स ग्वालियर द्वारा ‘कोरोना एवं शिशु रोग’ विषय पर आयोजित आॅनलाइन संगोष्ठी में कही। यह संगोष्ठी जूम एप के जरिए देश भर में देखी व सुनी गई। इसमें देश के अनेक जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया जिनमें डाॅ. वशिष्ठ भी शामिल थे। डाॅ. वशिष्ठ ने टीकाकरण के विभिन्न आयामों पर 14 पुस्तकें लिखी हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जर्नल्स में उनके 200 से अधिक आलेख प्रकाशित हो चुके हैं।

चार सत्रों में हुई संगोष्ठी।

संगोष्ठी में कुल चार सत्र आयोजित किए गए, इसमें पहले सत्र में बड़ी उम्र के कोरोना मरीजों पर ग्वालियर मेडिकल काॅलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. धीरेन गुप्ता एवं दूसरे सत्र में प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डाॅ. स्वाति घाटे ने अपने विचार रखें। अध्यक्षता डाॅ. रश्मि गुप्ता एवं डाॅ. मुकुल तिवारी ने की। प्रारंभ में एकेडमी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डाॅ. प्रदीप जैन एवं सचिव डाॅ. प्रियंका गुप्ता नीखरा सहित अन्य पदाधिकारियों ने एकेडमी की भावी योजनाएं बताई और वरिष्ठ चिकित्सकों का मार्गदर्शन मांगा।

कोई भी महामारी हमेशा नहीं रहती।

ग्वालियर मेडिकल काॅलेज में पढ़े और सर गंगाराम हाॅस्पिटल दिल्ली में पिछले एक वर्ष में एक हजार से ज्यादा मरीजों का सफल उपचार कर चुके डाॅ. धीरेन गुप्ता ने कहा कि कोई भी महामारी हमेशा नहीं रहती, उसे कभी न कभी खत्म होना ही है। उन्होंने कहा कि मरीज को स्टेराॅइड का प्रयोग कब शुरू करना और कहां रोकना है, इसकी पूरी माॅनिटरिंग होनी चाहिए।
प्रसिद्ध मनोविज्ञानी चिकित्सक डाॅ. स्वाति घाटे ने कहा कि हर महामारी कुछ सबक देकर जाती है, कोरोना की तीसरी लहर से अभी से सजग हो जाना चाहिए। बेहतर होगा कि पालक किसी भी तरह के नए लक्षण नजर आने पर अपने शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क में रहें। उन्होंने डाॅक्टर्स को तीसरी लहर के दौरान संभावित उपायों के टिप्स भी दिए।

बीस बीमारियों की रोकथाम करेगा एक टीका।

डाॅ. विपिन वशिष्ठ ने डाॅक्टर्स के प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने काफी तरक्की कर ली है और संभव है कि हम आने वाले दिनों में 20 बीमारियों की रोकथाम के लिए एक ही टीका भी बना सकते हैं। अभी जो टीके दुनिया भर में मौजूद हैं, उनमें भारतीय वैक्सीन कई मानकों में बेहतर है इसीलिए टीका जरूर लगवाए। विदेशी वैक्सीन का इंतजार न करें।

तीसरे सत्र में मुम्बई के प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ और आईएपी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. बकुल पारेख ने कोरोना महामारी के संदर्भ में कहा कि तीसरी लहर में कोरोना की ताकत बढ़ सकती है। इंडियन एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स ने इस संदर्भ में एक एडवायजरी जारी कर सभी शिशु रोग विशेषज्ञों को तीसरी लहर के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया है। बच्चों में कोविड की बीमारी प्रायः जानलेवा नहीं होती, लेकिन पालकों को पूरा ध्यान रखना होगा। डाॅ. पारेख ने ग्वालियर के शिशु रोग विशेषज्ञों को कोविड उपचार के नए प्रोटोकाॅल की जानकारी भी दी। अध्यक्षता डाॅ. अजय गौर ने की।

चौथे सत्र में सर गंगाराम हाॅस्पिटल दिल्ली के डाॅ. धीरेन गुप्ता, डाॅ. जी.वी. वसवराज, डाॅ. रमेश कुमार, ग्वालियर के प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. सी.पी. बंसल, म.प्र. राज्य इंडियन एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स के प्रेसीडेंट डाॅ. जगमोहन श्रीवास्तव, डाॅ. राजेश टिक्कास, डाॅ. अशोक बांगा सहित अनेक जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञों ने भी इस संगोष्ठी में शामिल होकर ग्वालियर एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स से जुड़े डाॅक्टर्स का कोरोना की तीसरी लहर के संदर्भ में मार्गदर्शन किया। अंत में एकेडमी की सचिव डाॅ. प्रियंका गुप्ता नीखरा ने आभार माना। यह आयोजन एकेडमी की नई कार्यकारिणी के शपथ विधि तक सीमित न रह कर सभी शिशु रोग विशेषज्ञों, पालकों एवं चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों के लिए बेहद प्रभावी रहा।

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