समय और समाज की मांग है कि यथार्थ को सामने लाया जाए

  
Last Updated:  July 2, 2023 " 12:08 am"

कोई 100 करोड कमाने के लिए फिल्म बनाता है पर मैं 100 करोड को जगाने के लिए फिल्म बनाता हूँ – फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन।

इंदौर : डाॅ. हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में “चिन्तन-यज्ञ” के तहत डेली कॉलेज के सभागार में आयोजित व्याख्यान माला के पहले दिन शनिवार, 1 जुलाई को फिल्म –  केरला स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन का व्याख्यान हुआ। विषय था -सिने जगत की समाज परिवर्तन में भूमिका।

फिल्में समाज में बदलाव का कारगर माध्यम हैं।

संदर्भित विषय पर अपने उद्बोधन में सुदीप्तो सेन ने कहा कि जब मैने अपनी पहली फिल्म द लास्ट मांक बनाई तब मुझे कोई नही जानता था , पर कान फिल्म फेस्टिवल में इसके सम्मिलित होने के बाद मुझे लगा कि भारत के 140 करोड़ में से प्रत्येक का सामर्थ्य है कि वो भी असंभव को संभव कर सकता है।केरला स्टोरी के बाद मुझे समझ में आया कि फिल्मे वास्तव में समाज परिवर्तन का प्रभावी माध्यम हैं। यह फिल्म बनाने के बाद जब अनेक कानूनी व आर्थिक समस्याएं सामने आईं तो भय था कि फिल्म रिलीज भी हो पाएगी या नहीं,पर इसके रिलीज होने के दो माह में ही  जैसा प्रतिसाद समाज की ओर से आया तो विश्वास हो गया कि देश में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है।

फिल्म निर्माण में वामपंथी विचारधारा का बोलबाला।

देश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से एक वामपंथी विचारधारा कार्य करती है जो यह समझती है कि आम जनता को वो जैसा परोसेंगे वही मान्य हो जाएगा।भारतीय सिनेमा को संभवतः इसीलिए बॉलीवुड के नाम से चलाया जाता है। हालांकि
अब जैसे जैसे आम व्यक्ति जागरूक हो रहा है, यथार्थ का यथोचित चित्रण करने वाली फिल्में बन रही हैं। अगर राजनीति के रसूखदार, कश्मीर फाइल्स व केरल स्टोरी जैसी फिल्मों से विचलित हो रहे हैं तो इसका मतलब है हमारी इन फिल्मों का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मैने इस फिल्म से 300 करोड अवश्य कमाए है , पर आज भी मैं 300 रुपय की शर्ट पहनता हूँ  , क्योंकि मेरा उद्देश्य देश के लोगों को सच बताकर जगाना है।

दुष्प्रचार को लोगों ने खारिज किया।

इस फिल्म को जहाँ कुछ लोगों ने प्रोपोगेण्डा कह कर दुष्प्रचारित किया, उसे जानता ने खारिज कर दिया। असल में यह फिल्म केरल में हाऊस फुल चल रही है। हैदराबाद में इसने 23 करोड की कमाई की है और बिहार में लोगों ने इसे बेहद पसंद किया है ।
आज इस विषय पर समाज में खुलकर चर्चा होने लगी है ।
जिन 3.5 करोड लोगो ने यह फिल्म देखी है , वे ही इस विमर्श को बाकी समाज तक लेकर जा रहे हैं।

विशेष विचारधारा का अब वर्चस्व नहीं होगा।

सुदीप्तो सेन ने कहा कि अब एक वर्ग विशेष कन्टेन्ट पर कन्ट्रोल नहीं रख पाएगा। समाज अपना एजेंडा खुद तय करेगा।देश में आगे जो फिल्में बनेंगी, उन पर समाज की सोच दृष्टिगत होगी। कोई भी एक विशेष  विचारधारा अब काम नहीं करेगी ।

विषय प्रस्तावना रखते हुए विनय पिंगले ने कहा आज समाज के महत्वपूर्ण मुद्दे नई फिल्मों के माध्यम से सार्थक हो रहे है और समाज को सही दिशा दिखा रहे हैं।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में शहर के प्रख्यात फिल्म निर्माता देवेन्द्र मालवीय ने कहा कि मैं सुदीप्तो सेन को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने अफगानिस्तान और सीरिया के मरुस्थल में दफन भारत की बेटियों की व्यथा समाज के सम्मुख प्रस्तुत की ।

कार्यक्रम में  विशेष अतिथि के रूप में डेली कालेज प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष विक्रम सिंह पंवार मौजूद रहे।कार्यक्रम का संचालन अभिराम भिसे ने किया।एकल गीत सुश्री तान्या पहाड़े ने पेश किया।आभार सुजीत सिंहल ने माना।कार्यक्रम का समापन शालिनी गुप्ता द्वारा वन्दे मातरम् की प्रस्तुति के साथ हुआ।

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