इंदौर : मालवा उत्सव का आगाज जिस भव्य अंदाज में हुआ था, समापन भी उसी भव्यता के साथ हुआ। 25 दिसंबर से प्रारम्भ हुआ सात दिवसीय मालवा उत्सव वर्ष 2021 के अंतिम दिन याने 31 दिसंबर को अंजाम तक पहुंचा। इंदौर की जनता का अभूतपूर्व प्रतिसाद मालवा उत्सव को मिला, इसके लिए लोक संस्कृति मंच के संयोजक व सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर की जनता का धन्यवाद अदा किया।
अंतिम दिन भी लालबाग परिसर उत्सव प्रेमियों से आबाद रहा। मालवी जायके के साथ लोककलाओं का लुत्फ उठाते हुए इंदौरी लोगों ने शिल्पकारों की नायाब कलाकृतियों को खरीदने में भी खासी दिलचस्पी दिखाई।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी एवं सचिव दीपक लंवगड़े ने बताया कि आखरी दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम पंडवानी गायन से शुरू हुआ। गुजरात का गोफरास जिसमें बीच डंडे पर कपड़े की गोफ को गूथते हुए व पुनः खोलते हुए गुजराती गरबे का आनंद दर्शकों ने लिया, तो दूसरी तरफ मालवा निमाड़ की प्राचीन संस्कृति की बानगी देता कान ग्वालिया नृत्य और मालवा का मटकी नृत्य भी खूब सराहा गया। मालवा निमाड़ की संस्कृति से सजा लोक पारम्परिक व पर्यावरण गीतों से ओतप्रोत संजा पर एक सुंदर लोक नृत्य मंडला के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। वही गोंड जनजाति का नृत्य सेला एवं कर्मा भी प्रस्तुत किया गया। बसंत ऋतु में युवक-युवतियों द्वारा किया जाने वाला आसाम का प्रसिद्ध नृत्य बिहू भी प्रस्तुत हुआ जिसमें लड़कियों ने मोगा, मेटलो चादर पहना था तो लड़कों ने धोती पहन रखी थी। कलाइयों के सुंदर मूवमेंट शरीर को होले होले चलाना इस लोक नृत्य की खासियत थी। उज्जैन के कलाकारों द्वारा मलखंब का प्रदर्शन भी किया गया।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी व सभी सदस्यों ने मालवा उत्सव को सफल बनाने के लिए इंदौर की जनता का आभार व्यक्त किया है।