इंदौर : महाराष्ट्रीयन लोक संस्कृति में लोक गीतों की अपनी परंपरा रही है लेकिन बदलते दौर इन लोक गीतों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। इस बात के मद्देनजर मध्यप्रदेश मराठी अकादमी, इंदूर ने मराठी लोकगीतों को सहेजने की पहल की है। इसी कड़ी में मराठी लोकगीतों का संकलन कर एक पुस्तक ‘या पुन्हा गाऊ या’ का प्रकाशन किया गया है। खासकर गुलाबाई या कहें भूलाभाई के लोकगीतों का समावेश इस पुस्तक में किया गया है। जिसतरह मालवा- निमाड़ में संझा गीत गाए जाते हैं उसीतरह महाराष्ट्रीयन परिवारों में गुलाबाई के गीत गाने का प्रचलन रहा है। इन्हीं गीतों को विनीता धर्म और कीर्तिश धामारीकर ने इस पुस्तक में संकलित किया है।
गरिमामय समारोह में हुआ विमोचन।
आरएनटी मार्ग स्थित हिंदी साहित्य समिति के सभागार में आयोजित गरिमामय समारोह में मराठी लोकगीतों की इस पुस्तक (या पुन्हा गाऊ या) का विमोचन किया गया। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे और मप्र मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक उदय परांजपे कार्यक्रम में अतिथि के बतौर मौजूद रहे।
पुस्तक विमोचन के बाद महिलाओं के विभिन्न समूहों ने गुलाबाई के लोकगीतों की बानगी पेश कर समां बांध दिया।
प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। मप्र मराठी अकादमी इंदूर के अध्यक्ष मधुकर निरखीवाले और सचिव मिलिंद देशपांडे ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन संगीता नामजोशी और विनीता धर्म ने किया। आभार कीर्तिश धामारीकर ने माना।