गौमाता के साथ निगमकर्मियों ने की क्रूरता, ठूंस – ठूंस कर वाहनों में भरने से कईं गायें हुई चोटिल।
गौशाला संचालक स्वामी जीवाराम ने पत्रकार वार्ता में लगाए संगीन आरोप।
गौमाता के साथ हुई क्रूरता बयां करते हुए रो पड़े स्वामी जीवाराम।
इंदौर : रेती मंडी के समीप दत्त नगर स्थित गंगा गौशाला को नगर निगम द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद मचे बवाल के बीच इस घटना का दूसरा पक्ष भी सामने आया है। गौशाला संचालक स्वामी जीवाराम ने इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के जरिये निगमकर्मियों पर अभद्रता और पशु क्रूरता का आरोप लगाया। स्वामी हरिशंकर भी इस दौरान मौजूद रहे।
दो दिन पहले नोटिस देकर ध्वस्त कर दी गौशाला।
स्वामी जीवाराम ने बताया कि वे बीते 20 वर्षों से उक्त स्थान पर गौशाला का संचालन कर रहे थे। उनके पास 45 गायें थीं जिनकी देखभाल वे जनसहयोग से कर रहे थे। दो दिन पहले नगर निगम ने उन्हें गौशाला हटाने का नोटिस दिया और बुधवार को आकर समूची गौशाला व उनकी कुटिया तहस – नहस कर दी। उनके पास ऐसी कोई जगह नहीं थी, जहां वे इतने कम समय में गायों को शिफ्ट कर सकें। नगर निगम ने कोई वैकल्पिक स्थान भी उपलब्ध नहीं कराया।
गौमाता के साथ की क्रूरता।
अपनी बात रखते हुए स्वामी जीवाराम भावुक होकर रो पड़े। उनका कहना था कि हम गाय को गौमाता कहते हैं। आज भी कईं घरों में पहली रोटी गाय के लिए बनाई जाती है। गौमाता में ईश्वर का वास माना जाता है। बावजूद इसके निगम अधिकारी – कर्मचारियों का बर्ताव गौमाता के प्रति बेहद क्रूर था। उन्होंने न केवल मेरे साथ (जीवाराम) अभद्रता कर जान से मारने की धमकी दी, बल्कि गौशाला में पल रही गायों को ठूंस – ठूंस कर वाहनों में भर दिया। इसके चलते कईं गायों के पैरों में चोटें आई व फ्रेक्चर हो गए। दिनभर चले घटनाक्रम के बाद कुल 45 गायों में से 11 निगम के कर्मचारी ले गए और 34 को पुन: छोड़ गए।
सनातन की बात करने वाले जनप्रतिनिधी नहीं आए मदद के लिए।
स्वामी जीवाराम ने कहा कि गौशाला ध्वस्त कर दी गई, गायों के साथ क्रूरता की गई पर सनातन के नाम पर अपनी राजनीति चलाने वाले जनप्रतिनिधि नदारद रहे। यहां तक की घायल गौमाताओं के इलाज के लिए भी किसी ने पहल नहीं की। स्वामी जीवाराम ने इस बात को गलत बताया कि बजरंग दल कार्यकर्ताओं को उन्होंने बुलाया था।
भूमाफिया की नजरें लगी थीं गौशाला की जमीन पर।
स्वामी जीवाराम ने बताया कि भूमाफिया की नजरें गौशाला की जमींन पर लगी थी, उन्होंने ही सांठगाठ कर गौशाला को तुड़वा दिया, ताकि वे उस पर कब्जा कर सकें। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि गौशाला आयडीए की जमीन पर बनीं थी। रुंधे गले से उन्होंने कहा कि वे अब इंदौर में नहीं रहेंगे, यहां से चले जाएंगे।