इंदौर :पुराणों का संकलन 5125 वर्ष पुराना है, जिसे महर्षि वेदव्यास ने संकलित किया था । पुराण उससे भी कई वर्ष पहले लिखे गए हैं । प्रत्येक पुराण में अनुमानतः 20,000 श्लोक आते हैं । पुराणों में आने वाली कथाएं वेदों से ही ली गई है । महर्षि वेदव्यास ने वेदों का चार भागों में वर्गीकरण भी किया और उसे अपने शिष्यों के माध्यम से आम जन के बीच पहुंचाया। कलियुग में भावशक्ति का पतन तेजी से हो रहा है।मनुष्य भावहीन होता जा रहा है।पिछले 5000 वर्षों में वेदों की 1000 शाखाएं लुप्त हो चुकी हैं।यह हमारे लिए लज्जास्पद है, जो शाखाएं बची हैं उनका संरक्षण यदि नहीं हुआ तो आने वाले कुछ वर्षों में हम उन्हें भी गंवा देंगे। 18 महापुराणों में सर्वश्रेष्ठ श्रीमद भागवत महापुराण है। भगवान की समस्त लीलाओं का वर्णन इसमें आता है। भागवत महापुराण का मनन, चिंतन, श्रवण करने से मनुष्य परमहंस स्थिति को प्राप्त होता है। यदि इसमें उपलब्ध प्रत्येक श्लोक का गहन चिंतन किया जाए तो एक श्लोक समझने जानने में हजारों वर्ष लग जाते हैं।महर्षि वेदव्यास के अनुसार भागवत का चिंतन – मनन करने वाला मनुष्य पापों से मुक्त हो कर पुनीत होता है। भगवान के दर्शन प्राप्त करता है और मोक्ष को प्राप्त होता है। भागवत कथा सुनने के लिए देवता भी ललायित रहते हैं । अमृत से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण भागवत कथा है।
ये विचार वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री वैद्य ने राजेंद्र नगर स्थित जवाहर सभागृह में आयोजित भागवत ज्ञान गंगा प्रवाह में पहले दिन कथा की शुरुआत करते हुए व्यक्त किए । राजेंद्र नगर श्रीराम मंदिर स्वर्ण जयंती उत्सव तथा अधिक मास निमित्त इस भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
पृथ्वी पर सबसे पवित्र भारत भूमि।
धनंजय शास्त्री वैद्य ने कहा कि हमारे यहां 88,000 ऋषि हुए हैं, इनकी संख्या निश्चित है । ऋषियों में अत्यंत वृद्ध और ज्ञानी शौनक ऋषि को माना जाता है ।पृथ्वीतल पर सबसे पवित्र भूमि भारत देश को माना जाता है । इसे देवभूमि कहते हैं।
उन्होंने कहा कि सत्य का,अहिंसा का तप वर्ष में एक दिन अवश्य करना चाहिए। कलयुग में एक दिन किया हुआ तप का फल हजार वर्ष के तप का फल देता है।कायम रूप से किए गए तप को पूर्ण करने में देवता भी साथ देते हैं। मराठी में हो रही इस भागवत कथा को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।