इंदौर : वेदांत चिंता नहीं, चिंतन का पक्षधर है। चिंता किसी भी समस्या का समाधान नहीं करती, जबकि चिंतन की प्रक्रिया हमारे श्रवण को सार्थक बना देती है। आधुनिक युग में समाज और राष्ट्र के लिए अर्थ की महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है। अपने पुरूषार्थ से अर्जित धन का उपयोग धर्म, यश और कीर्ति, कृषि और व्यापार, आजीविका और समाज एवं राष्ट्र के लिए होना चाहिए। प्रकृति परमात्मा द्वारा प्रदत्त ऐसा उपहार है जो हमें कुछ देती ही है, लेती कुछ नहीं। विषय वासना के दलदल से बचने के लिए वेदांत का आश्रय बहुत प्रासंगिक है। मानव जीवन की धन्यता परमार्थ और परोपकार जैसे सदकर्मों में है, जिसकी प्रेरणा प्रकृति देती है।
जगदगुरू शंकराचार्य भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर 53वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की धर्मसभा में आशीर्वचन देते हुए ये विचार व्यक्त किए। अखंड धाम संत सम्मेलन के इस मंच पर एक साथ पांच महामंडलेश्वर मौजूद रहे। वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद, मुंबई के महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद, वृंदावन के ही महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती एवं स्वामी जगदीशानंद के साथ अखंड धाम आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी डाॅ. चेतन स्वरूप भी शंकराचार्य के सान्निध्य में वक्ता के रूप में शामिल हुए। म.प्र. मेला एवं तीर्थ क्षेत्र प्राधिकरण के अध्यक्ष माखन सिंह, सांसद शंकर लालवानी, म.प्र. साहित्य अकादमी के निर्देशक डाॅ. विकास दवे, समाजसेवी विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग एवं इंविप्रा के पूर्व संचालक विजय मालानी के आतिथ्य में वैदिक मंगलाचरण के बीच जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ का पादुका पूजन भी किया गया। सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर आयोजन समिति की ओर से हरि अग्रवाल, दीपक जैन, राजेंद्र गर्ग, मोहनलाल सोनी, ठा. विजयसिंह परिहार, सचिन सांखला, लालसिंह ठाकुर, डाॅ. चेतन सेठिया, डाॅ. के.एल. शर्मा, राजेंद्र मित्तल तथा मातृ शक्ति की ओर से किरण ओझा, राजकुमारी मिश्रा, अन्नपूर्णा कछवाहा आदि ने सभी संतों और विद्वानों का स्वागत किया। संत सम्मेलन में गोधरा की साध्वी परंमानंदा सरस्वती, भागवताचार्य अर्चना दुबे, महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद, प्रणवानंद सरस्वती, जगदीशानंद, चिदंबरानंद सरस्वती, डाॅ. स्वामी चेतन स्वरूप, स्वामी वीतरागानंद, स्वामी देवकीनंदन दास, स्वामी नारायणानंद आदि ने वेदांत एवं अन्य सामयिक विषयों पर अपने प्रभावी विचार रखे। इस अवसर पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति की ओर से मोहनलाल सोनी, राजेंद्र गर्ग, डाॅ. चेतन सेठिया आदि ने संत सम्मेलन में सहयोग हेतु 5100 रूपए की सहयोग राशि महामंडलेश्वर स्वामी डाॅ. चेतन स्वरूप को भेंट की। मंच का संचालन स्वामी नारायणानंद ने किया। गुरू वंदना स्वामी राजानंद, एवं स्वामी दुर्गानंद ने प्रस्तुत की।
मानव जीवन की धन्यता परमार्थ और परोपकार जैसे सद्कर्मों में है- जगतगुरु स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ
Last Updated: January 5, 2021 " 08:33 pm"
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