इंदौर : कोरोना काल में ठप पड़ी सांस्कृतिक गतिविधियां अब पुनः जोर शोर से प्रारंभ हो गई है। रंगमंच पर फिर से नए – नए नाटकों का मंचन होने लगा है। शहर की ख्यात सांस्कृतिक संस्था सानंद के मंच पर भी मराठी नाटकों की प्रस्तुतियों का सिलसिला शुरू हो गया है। इसी कड़ी में मल्हार+ रॉयल थियेटर निर्मित नाटक ’38 कृष्ण व्हिला’ का मंचन किया गया।
इंसान जो बाहर से दिखता है या खुद को दिखाना चाहता है, हकीकत में वैसा होता नहीं है। दरअसल, यह इंसानी फितरत है की वह दुनिया के सामने खुद को अलग रूप में पेश करता है, जो असल में वह होता नहीं है। वह अपने चेहरे पर मुखौटा लगाए घूमता है। हकीकत का सामना करने में उसे डर लगता है।हालांकि तमाम आवरण ओढ़ने के बावजूद रहस्य की परतों में लिपटा उसका सच एक दिन सामने आ ही जाता है। व्यक्ति के इसी दोहरे चरित्र की पड़ताल करता है नाटक ’38 कृष्ण व्हिला’ विजय केकरे द्वारा निर्देशित इस नाटक में ख्यात रंगमंच कलाकार डॉ. गिरीश ओक और डॉ. श्वेता पेंडसे ने मुख्य भूमिका निभाई। श्वेता पेंडसे ने ही नाटक का लेखन भी किया है। दो ही पात्र होने के बावजूद नाटक गतिमान रहता है और जैसे जैसे नाटक आगे बढ़ता है रहस्य की परतें भी गहरी होने लगती हैं। मध्यांतर के बाद रहस्य का अंधेरा छटने लगता है और अंततः सच सामने आ जाता है। डॉ.गिरीश ओक का रंगमंच पर यह 50 वा नाटक है। उनकी और श्वेता पेंडसे की नाटक में जुगलबंदी कमाल की बन पड़ी है। नाटक का कथानक दर्शकों को अपनी जगह से हिलने नहीं देता। संदेश बेंद्रे का नेपथ्य, अजीत परब का संगीत, शीतल तलपदे की प्रकाश योजना और मंगल केकरे की वेशभूषा नाटक के कथानक के अनुरूप रही। नाटक के निर्माता मिहिर गवली और सहनिर्माता उत्कर्ष मेहता व ऋतुजा शिदम हैं। सानंद के पांच दर्शक समूहों के लिए नाटक के 5 शो मंचित किए गए।
सानंद के मंच पर रहस्य की परतों में लिपटा नाटक 38 कृष्ण व्हिला का मंचन
Last Updated: May 17, 2022 " 01:30 pm"
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