खेलने – कूदने की उम्र में निराश्रित बच्चों और बुजुर्गों की मदद में जुटी है नन्हीं खनक

  
Last Updated:  June 8, 2022 " 11:06 pm"

इंदौर : जिस उम्र में बच्चे खेलने – कूदने और मोबाइल पर गेम खेलने में समय व्यतीत करते हैं, उस उम्र में एक बालिका वो काम कर रही है जो बड़े भी नहीं करते। इस बालिका का नाम है खनक हजेला। डीपीएस स्कूल की कक्षा 10 वी की छात्रा 14 वर्षीय खनक हजेला, स्वयंसेवी संस्था आनंदम फाउंडेशन के माध्यम से अनाथालयों और वृद्धाश्रमों में रहने वाले बच्चों और बुजुर्गों के जीवन में खुशियां भरने का प्रयास करती है।

कत्थक को बनाया संसाधन जुटाने का जरिया।

खनक ने बताया कि वह 3 साल की उम्र से ही नृत्यगुरु रागिनी मक्खर से कत्थक का प्रशिक्षण ले रही है। कत्थक के कार्यक्रम पेश कर वह a nn अनाथालयों और वृद्धाश्रमों के लिए संसाधन जुटाती हैं। खनक ने बताया कि 2019 में उन्होंने जो कार्यक्रम किया था उसका उद्देश्य था ‘राइट टू चूज’। खनक के मुताबिक इसके मायने यह है कि हम निराश्रित बच्चों और बुजुर्गों को वो सामग्री उपलब्ध कराएं, जो उनकी इच्छा है। उन्हें इसका अधिकार दिया जाना चाहिए।

इस बार का कार्यक्रम ‘मिशन मिलाप’ पर केंद्रित होगा।

नन्हीं समाजसेवी खनक के अनुसार कोरोना काल के चलते वह 2 साल कार्यक्रम नहीं कर पाई पर इस बार 11 जून 2022 को रवींद्र नाट्यगृह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मिशन मिलाप के तहत होनेवाले इस कार्यक्रम में वह साथी कलाकारों के साथ कत्थक नृत्य की बानगी पेश करेंगी। इसे प्रयास 2.0 नाम दिया गया है। इसके जरिए स्वैच्छिक सहयोग राशि एकत्रित कर उसका उपयोग अनाथालय के बच्चों और वृद्धाश्रम के बच्चों के लिए किया जाएगा।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बॉलीवुड के ख्यात कोरियोग्राफर संदीप सोपारकर होंगे।

वित्तीय साक्षरता के लिए चलाती हैं यू ट्यूब चैनल।

खनक वित्तीय मामलों की भी अच्छी जानकारी रखती हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने यू ट्यूब चैनल गपशप विथ खनक शुरू किया। इसके जरिए वह ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन और बैंकिंग व्यवहारों के बारे में जन साक्षरता बढ़ाने का काम कर रही हैं। अभी तक खनक ऐसे 108 एपिसोड बनाकर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज करवा चुकी है। उनका यह यू ट्यूब चैनल उनकी कमाई का भी जरिया बन गया है। इससे जो भी आय होती है, खनक उसका इस्तेमाल अनाथालय के बच्चों और वृद्धाश्रमों के बुजुर्गों की मदद के लिए करती है।

कोरोना काल में की फ्रंटलाइन वर्कर्स की मदद।

खनक बताती हैं कि कोरोना काल में उन्होंने आनंदम फाउंडेशन के माध्यम से पुलिस सहित तमाम फ्रंटलाइन वर्कर्स को पीपीई किट, सैनिटाइजर, ग्लव्ज, मास्क और अन्य सामान उपलब्ध कराया था। इसी के साथ सेवा भारती के जरिए झाबुआ जैसे आदिवासी क्षेत्र में भी कोरोना से बचाव की सामग्री और इम्यूनिटी फूड्स भिजवाए थे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *