आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में आगामी शताब्दी वर्ष के निमित्त तय किए गए लक्ष्य

  
Last Updated:  March 18, 2023 " 06:25 pm"

संघ के कार्यों और विस्तार पर डाला गया प्रकाश।

राष्ट्र के समक्ष खड़ी चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रची जा रही साजिशों की ओर दिलाया गया ध्यान।

इंदौर : आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 12, 13 और 14 मार्च 2023 को हरियाणा प्रांत के सेवा साधना और ग्राम विकास केंद्र पट्टी कल्याणा, समालखा में संपन्न हुई। बैठक में हुए विचार – विमर्श और पारित प्रस्तावों के बारे में आरएसएस के मालवा प्रांत के संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री और प्रांत कार्यवाह विनीत नवाथे ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान आरएसएस के कार्यों से प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया। इस दौरान गुलामी की मानसिकता को छोड़ स्वत्व के जागरण, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में समाज और संगठन की सहभागिता, स्वच्छता, समरसता और रोजगार सृजन की दिशा में समाज का की भूमिका पर संतोष जताते हुए कहा गया कि राष्ट्र को समृद्ध, स्वाभिमानी और संस्कारित बनाने में सरकार की नीति और प्रयासों पर निर्भर न होकर समाज को भी अपना कर्तव्य बखूबी निभाना चाहिए।

गंभीर चुनौतियों की ओर दिलाया ध्यान।

प्रतिनिधि सभा में अमृत काल में देश के समक्ष विद्यमान गंभीर चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया बताया गया कि भारत के खिलाफ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में हिंदू मंदिरों पर किए गए हमले इसका प्रमाण हैं। इसी के साथ मतांतरण को भी राष्ट्र के खिलाफ बड़ी साजिश बताते हुए उसके खिलाफ जन जागरण की बात कही गई।

संघ के कार्यों का हो रहा विस्तार।

बताया गया कि संघ के कार्यों का देशभर में विस्तार हो रहा है। 2025 में संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। वर्तमान में संघ 71,355 स्थानों पर कार्य कर समाज में बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है। अगले एक वर्ष में एक लाख स्थानों तक संघ के कार्यों को पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद संघ के कार्य में बढ़ोतरी हुई है। उससमय 38913 स्थानों पर 62941 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन और 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थी। 2023 में यह संख्या बढ़कर 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन और 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। संघ की दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। शताब्दी वर्ष में संघ के कार्य को बढ़ाने के लिए नियमित प्रचारकों और विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक के बतौर भ्रमण पर निकलेंगे और संघ के कार्यों को लोगों तक पहुंचाएंगे।
बताया गया कि संघ के मप्र में तीन प्रांत मध्यभारत, मालवा और महाकौशल आते हैं। तीनों प्रांतों में संघ का कार्य लगातार बढ़ रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संघ से जुड़ने के लिए लोग लगातार निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 के बीच ज्वाइन आरएसएस के जरिए 7 लाख 25 हजार लोगों ने अप्लाई किया। इनमें ज्यादा तादाद 20 से 35 वर्ष के युवाओं की थी। संघ की शाखाओं में 60 फीसदी विद्यार्थी शाखाएं हैं।आगामी वर्ष में संघ के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवक शिक्षण प्राप्त करेंगे।

प्रतिनिधि सभा में संघ के सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्वावलंबन, मतांतरण को रोकने की दिशा में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई।

इस दौरान वर्तमान समय में देश के हर मोर्चे पर बढ़ते कदमों, राष्ट्रीय नवोत्थान और वैश्विक स्तर पर बढ़ते सामर्थ्य और प्रतिष्ठा में वृद्धि पर संतोष जताया गया। देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था की भी सराहना की गई।

ये तय किए गए लक्ष्य।

संघ के शताब्दी वर्ष के लक्ष्य भी प्रतिनिधि सभा में तय किए गए। इनमें संघ के कार्यविस्तार के साथ समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन शैली, नागरिक कर्तव्य का जागरण जैसे आयामों को प्रभावी बनाना, वैचारिक विमर्श को राष्ट्रीय दिशा देना और समाज की सज्जन शक्ति को संगठित कर सही दिशा देना शामिल है।

प्रतिनिधि सभा में संघ के सर कार्यवाह ने भगवान 2550 वे निर्वाण वर्ष पर उनके उपदेशों को आगे बढ़ाते हुए मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने, छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के 350 वे वर्ष को जोर – शोर से मनाने और महर्षि दयानंद की 200 वी जन्म जयंती पर उनके आदर्शों को अपनाने का आग्रह स्वयंसेवकों से किया।

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