कबीर गायन और प्रकृति यात्रा पर चर्चा आयोजित।
इन्दौर : इन्दौर में कबीर की सामाजिक—सांस्कृतिक विरासत पर केन्द्रित संस्था ‘कबीर जन विकास समूह’ द्वार कबीर गायन एवं प्रकृति यात्रा पर चर्चा आयोजित की गई। इन्दौर में मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के सभागार में आयोजित इस समारोह का शुभारंभ कबीर के निर्गुण धारा के गायक महेन्द्र साहब के कबीर गायन से हुआ। महेन्द्र ने अपने गायन में मिथ्याजगत की सचाई को उजागर करने वाले भजन ‘क्या बोले, फिर क्या बोले/ मन मस्त हुआ फिर क्या बोले की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। उनके भजन का निचोड़ा था कि ‘राम तो हमारे अंदर बसे हैं, लेकिन लोग उन्हें बाहर ढूंढ रहे हैं। जो अंदर है, वह बाहर कैसे मिलेगा। राम तो हमारी अन्तर्रात्मा में ही मिलेंगे।’
इस चर्चा के मुख्य वक्ता गजानन्द यादव ने कहा कि कबीर ने इंसान की समझ पर सवाल उठाए हैं। मानव कई तरह की दुविधाओं में जीवन जीता आया है, कबीर ने उन्हीं दुविधाओं के समाधान का रास्ता बताया है। सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पिछले पच्चीस वर्षों से जमीनी स्तर पर सक्रिय गजानन्द यादव ने कहा कि एक नागरिक के रूप में हमें किसानों की बातों को अपनी चिन्ता में शामिल करना होगा। हमारे देश में पिछले बीस वर्षों में खेती किसानी में बहुत बदलाव आए हैं। आज हमारी खेती उन्नत बताए जाने वाले बीजों, रासायनिक खाद और कीटनाशकों की चपेट में तो है ही, साथ ही बाजार ने भी खेती को प्रभावित किया है। इस दशा में हमें किसानों के पूरे मुद्दे को समझने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि देश में किसानों की स्थिति और सामाजिक परिस्थितियों को जानने—समझने के लिए गजानन्द यादव 1 मार्च से देश के परिभ्रमण पर जा रहे है। इसके माध्यम से वे विभिन्न प्रदेशों की यात्रा करेंगे।