इंदौर लोक संस्कृति मंच द्वारा नगर निगम व अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित मालवा उत्सव को शहर के लोगों का जबरदस्त प्रतिसाद मिल रहा है। बिगड़े मौसम और बारिश की बौछारों के बावजू बड़ी संख्या में इंदौर के बाशिंदे मालवा उत्सव में पहुंचे।
शिल्प बाजार में मौजूद है, कलात्मक वस्तुओं का संसार ।
यहां लोग सिर्फ मनोरंजन और खानपान का ही लुत्फ नहीं उठा रहे बल्कि देशभर से आए शिल्पकारों की हौसला अफजाई भी कर रहे हैं और उनकी बनाई वस्तुओं की खरीददारी भी कर रहे हैं। शिल्प बाजार में मोहन प्रजापति टेराकोटा का विशाल संग्रह जिसमें कछुआ फ्लावर पॉट बुद्धा आदि लेकर आए हैं। कश्मीर से जुबेर अहमद पश्मीना शाल ,स्टोल ,साड़ी लेकर आए हैं। कश्मीर से ही ड्राय एप्पल, केशर, स्पेशल बादाम, ओरिजिनल मूंग, अंजीर, किशमिश लेकर मोहम्मद इरशाद डार आएं हैं। यहां फतेहपुर सिकरी से यासीन भाई संगमरमर के आर्टिकल लेकर आए हैं जिसमें शेर, हाथी, शतरंज भी मौजूद हैं। पीतल शिल्प, पोचमपल्ली साड़ियां, महेश्वरी साड़ियां, गलीचा, ड्राई फ्लावर, बांस शिल्प, केन फर्नीचर सहित अनेकों आइटम यहां मौजूद है।
लोक कलाकारों की व्यवस्था देख रहे अमरलाल गिद्वानी ,संकल्प वर्मा, दिलीप शारदा ने बताया कि कलाकारों को बड़े दिनों बाद मंच मिलने पर वह काफी खुश नजर आ रहे हैं और उनकी यह खुशी उनके नृत्यों में भी झलकती हुई दिख रही है।
अरुणाचल के लोकनृत्य ने जमाया रंग।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि मंगलवार को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में अरुणाचल प्रदेश से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत स्नोलायन डांस बड़ा ही खूबसूरत बन पड़ा था, जिसमें मानव एवं शेर के आपसी स्नेह को दर्शाया गया था। गुजरात का मनिहारी डांडिया रास दर्शकों की दाद बटोर गया। बैगा जनजाति का सुंदर नृत्य परघौनी जिसमें दुल्हन के भाई का स्वागत खटिया को हाथी बना कर किया जाता है बड़ी खूबसूरती से पेश किया गया। कोरकु जनजाति का नृत्य थापटी जिसमें लाल पगड़ी पहने पुरुष धोती कुर्ता में एवं महिलाएं लाल साड़ी में टीमकी चितकोरिया, झांझ लेकर नृत्य करती नजर आई। यह चैत के महीने में गेहूं की कटाई के बाद किया जाने वाला नृत्य है। छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य जो गुरु घासीदास के अनुयायियों ने प्रस्तुत किया। स्थानीय कलाकार संजना जोशी ने अष्टनायिका प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने 8 नायिकाओं के मन के भाव को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। रजत पवार और साथियों द्वारा प्रस्तुत कथक नृत्य जिसमें गणपति के जीवन की घटनाओं के दृश्य को नृत्य के माध्यम से जीवन्त किया गया। गोंड जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य थाट्या भी दर्शकों को काफी पसंद आया।