मालवीय ने लोक शैली के भजनों के जरिए पेश किए रामायण के विभिन्न प्रसंग

  
Last Updated:  April 7, 2022 " 01:01 pm"

इंदौर : अपनी लोक शैली में गायन के लिए मशहूर सुंदरलाल मालवीय ने दशहरा मैदान पर चल रहे नौ दिवसीय सबके राम जन्मोत्सव मेले में बुधवार रात अपनी प्रस्तुतियां दी।

उपरोक्त जानकारी देते हुए “सबके राम” राम जन्म उत्सव समिति के महेंद्र चौहान एवं प्रवीणा अग्निहोत्री ने बताया कि श्री मालवीय ने कार्यक्रम का आरंभ राग कल्याणी में गाइए गणपति जगवंदन से की।इसके बाद राम वंदना गाते हुए उन्होंने भजन “तू दयालु दीन हो” पेश किया। राम जी के सीता से ब्याह कर अयोध्या लौटने पर मां कौशल्या, कैकेई, सुमित्रा जिस तरह से उनका स्वागत करती हैं उसका दर्शन कराता भजन “निरखत रूप सिया रघुवर को छवि नहीं जात बखानी” प्रस्तुत किया। उसके पश्चात वन गमन के समय जब राम गांव के बाहर से होकर गुजरते हैं तो गांव की स्त्रियां सीता जी से पूछती हैं “कहां के पथिक, कहां किन हो गमनवा” अर्थात कहां से आ रहे हो कहां जाना है। उसके बाद उन्होंने केवट प्रसंग पर आधारित केवट से मनुहार करते कि उन्हें गंगा पार करवा दें भजन सुनाया। शबरी प्रसंग जब उन्होंने सुनाया तो जनता भाव विभोर होकर भजन “आंगन रोज बुहारे शबरी” सुनती रही। जब लंकेश रावण ने विभीषण को लात मारकर दरबार से भगाया था तो वे रामजी की शरण में पहुंचे थे, उसी पर आधारित तुलसीदास की खूबसूरत रचना सुगम संगीत शैली में कुटुंब “तजी शरण राम तेरी आयो” सुनाया।संतों ने अपने आप से कर्म करने को कहां है उसी पर आधारित भजन “राम रट ले रे मनवा राम रट ले” सुनाया जिसमें राम जन्म से लेकर लंका विजय और पुनः अयोध्या आगमन का वृतांत था ।उन्होंने कबीर का भजन “लगन कठिन मेरे भाई” भी सुनाया, अंत में राग भैरवी पर आधारित भजन “गर्व करे सो गवारा जोबन धन पावण दिन चारा” गाकर उन्होंने कार्यक्रम का समापन किया।

दिनांक 7 अप्रैल को संगीतमय सुंदरकांड की प्रस्तुति रात्रि 8:00 बजे से पंडित माधवा रामानुज शास्त्री द्वारा दी जाएगी।

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