युग पुरुषधाम के संचालकों को कलेक्टर ने थमाया शोकाज नोटिस

  
Last Updated:  July 6, 2024 " 12:23 am"

तीन दिन में मांगा जवाब।

उच्चस्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट में आश्रम में कई अनियमितताओं का हुआ खुलासा।

बच्चों की मौत की छुपाई गई थी जानकारी।

इंदौर : मानसिक दिव्यांगों के युगपुरुष धाम आश्रम में 6 बच्‍चों की मौत होने और करीब 60 बच्‍चों के बीमार होने के मामले की जांच के लिए गठित चार सदस्‍यीय समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्‍टर आशीष सिंह ने आश्रम संचालकों के खिलाफ शोकाज नोटिस जारी कर दिया है।उनसे तीन दिन में जवाब तलब किया गया है।जवाब नहीं देने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

कई अनियमत्ताएं आई सामने।

उच्च स्तरीय कमेटी की जांच में आश्रम में कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। आश्रम में सर्वत्र गंदगी पसरी होना पाई गई। करोड़ों रुपए दान में मिलने के बावजूद मानसिक दिव्यांग बच्चों की देखभाल में लापरवाही बरती जा रही थी। पीने का पानी दूषित पाया गया। बच्चों के बिस्तर व कपड़े गंदे और बदबूदार मिले।आश्रम की दीवारें सीलन से भरी हुई थीं। खाने की सामग्री रखने का स्थान, किचन भी गंदगी से युक्त पाए गए। बच्चों को भरपेट खाना भी नहीं मिल रहा था।जांच में सामने आया कि प्रबंधन ने बच्चों की मौत की जानकारी छुपाई और समय पर जिला प्रशासन या महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचना नहीं दी। अपर कलेक्टर गौरव बेनल के नेतृत्व में चार सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति ने अस्पताल के दस्तावेज खंगाले तो सामने आया कि छह बच्चों की मौत हुई है। आश्रम के रजिस्टर में अंकित नामक बच्चे की जानकारी दर्ज थी, लेकिन उसकी मौजूदगी नहीं मिलने पर प्रबंधन ने स्वीकार किया कि इसकी मौत 29 जून को हो चुकी थी, जिसका अंतिम संस्कार परिवार की मौजूदगी में किया गया है। एक व दो जुलाई को दो जुलाई को पांच अन्य बच्चों की मौत दर्ज की गई। फिलहाल 48 बच्चे चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भर्ती हैं, इनमें से 06 बच्चों की हालत गंभीर बताई गई है।

क्षमता से अधिक बच्चे किए जाएंगे स्थानांतरित।

जांच में ये भी पता चला कि युगपुरुष धाम आश्रम में क्षमता से अधिक बच्चों को रखा जा रहा है। आश्रम में 204 बच्चे थे, जबकि क्षमता 100 बच्चों की थी। अब कई बच्चों को शासकीय और अशासकीय संस्थाओं में स्थानांतरित किया जाएगा। कलेक्टर ने कहा है कि एक-दो दिन में बच्चों के स्थानांतरण की रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी। बच्चों को भोजन – पानी भी बाहर से पहुंचाया जा रहा है। जो बच्चे ठीक हो रहे हैं उन्हें भी अन्य अनाथालयों में भेजा जा रहा है।

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