कमिश्नर अपीलेट ने खारिज की
आयकर विभाग की डिमांड।
आयकर विभाग ने मंदिर की बैंक में जमा राशि पर साढ़े तीन करोड़ की निकाली थी टैक्स डिमांड।
इंदौर : रणजीत हनुमान मंदिर पर आयकर विभाग द्वारा निकाली गई साढ़े तीन करोड़ की डिमांड को कमिश्नर अपील ने खारिज कर मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया है। इस निर्णय का दूरगामी असर होगा। सैकड़ों मठ – मंदिरों को इस निर्णय से लाभ पहुंचेगा।
ये था मामला :-
रणजीत हनुमान मंदिर की ओर से केस लड़ने वाले कल सलाहकार अभय शर्मा ने बताया कि नोटबंदी के दौरान मंदिर प्रबंधन ने दान की बड़ी राशि बैंक में जमा कराई थी। उक्त जमा राशि को लेकर आयकर विभाग ने मंदिर प्रबंधन को नोटिस जारी किया था। उस समय रणजीत हनुमान मंदिर न तो ट्रस्ट के अधीन था और न ही आयकर विभाग की धारा 12-ए और 80-जी के तहत रजिस्टर्ड था।
आयकर विभाग ने निकाली थी 3.50 करोड़ की टैक्स डिमांड।
कर सलाहकार अभय शर्मा के अनुसार आयकर विभाग के नोटिस पर मंदिर के तत्कालीन प्रतिनिधि ने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा था लेकिन आयकर विभाग ने उनके तथ्यों को दरकिनार कर जमा राशि पर 3.50 करोड़ की टैक्स डिमांड निकाल दी और निर्धारित समय सीमा में उसके भुगतान के निर्देश दिए। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर और रणजीत हनुमान मंदिर के प्रशासक लोकेश जाटव ने यह केस उन्हें (अभय शर्मा) सौंपा।
अभय शर्मा ने बताया कि नियमानुसार डिमांड राशि का 20 फीसदी जमा करने पर ही स्टे मिलता है पर उन्होंने प्रयास करते हुए बिना कोई राशि जमा किए स्टे लेने में सफलता प्राप्त की। इसके बाद कमिश्नर अपीलेट आयकर के समक्ष अपील की गई।
मंदिर के पक्ष में हुआ निर्णय, आयकर विभाग की डिमांड खारिज।
शर्मा के मुताबिक बीते चार – पांच वर्षों में कई बार सुनवाई के बाद गुरुवार, 08 फरवरी को कमिश्नर अपीलेट ने फैसला सुनाते हुए रणजीत हनुमान मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया और आयकर विभाग की डिमांड खारिज कर दी।
कर सलाहकार अभय शर्मा ने बताया कि कमिश्नर अपीलेट के इस फैसले से उन तमाम मठ, मंदिर और गुरुद्वारों को भी राहत मिलेगी जो आयकर विभाग में या पंजीकृत नहीं हैं। इससे वे आयकर के दायरे में आने से बच सकेंगे। श्री शर्मा ने बताया कि मामले की अंतिम सुनवाई में उनके साथ सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी ने भी तर्क पेश किए।